भाव, लय और ताल के अद्भुत संगम से दर्शक हुए मंत्रमुग्ध
रायगढ़ (सृजन न्यूज़)। चक्रधर समारोह के आठवें दिन कथक की प्रख्यात गुरु नीलांगी कालांतरे ने अपनी विलक्षण प्रस्तुति से ऐसा समां बाँधा कि पूरा कार्यक्रम स्थल तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा। उनकी साधना, भाव-भंगिमा और मनमोहक नृत्य मुद्राओं ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
गुरु नीलांगी कालांतरे ने सात वर्ष की आयु से कथक की शिक्षा आरंभ की। उन्हें यह ज्ञान गुरु शरदिनी गोले जी और पंडित रोहिणी भाटे जैसे विख्यात गुरुओं से प्राप्त हुआ। लगभग तीन दशकों से अधिक समय से वे कथक की परंपरा को साधते हुए इसे नई ऊँचाइयों पर पहुँचा रही हैं।
मंच पर उनकी उपस्थिति मात्र ने ही वातावरण को आध्यात्मिक और कलात्मक ऊर्जा से भर दिया। उन्होंने पारंपरिक कथक की बारीकियों के साथ आधुनिक प्रयोगों का ऐसा सुंदर समन्वय प्रस्तुत किया, जिसने दर्शकों को शास्त्रीय नृत्य की गहराई से अवगत कराया। भक्ति और लयात्मकता से ओतप्रोत उनकी प्रस्तुतियों ने यह संदेश दिया कि कला साधना केवल प्रदर्शन नहीं, बल्कि जीवन का अभिन्न हिस्सा है।