Home राजनीतिक SECL के खिलाफ भड़का युवा कांग्रेस, बरौद बिजारी खदान बंद

SECL के खिलाफ भड़का युवा कांग्रेस, बरौद बिजारी खदान बंद

by SUNIL NAMDEO

रायगढ़ (सृजन न्यूज)। जिले के घरघोड़ा ब्लॉक स्थित एसईसीएल बरौद-बिजारी खदान में सोमवार सुबह उस समय हलचल मच गई, जब युवा कांग्रेस नेता उस्मान बेग के नेतृत्व में बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने खदान के मुख्य द्वार पर पहुंचकर कंपनी के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। प्रदर्शनकारी प्रभावित गांवों के लोग थे।

                       आरोप है कि एसईसीएल वर्षों से कोयला उत्पादन कर अरबों रुपये की रॉयल्टी व डीएमएफ राशि सरकार को दे रही है, लेकिन खदान से सटे गांव अब भी बिजली, पानी, सड़क और रोजगार जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। ग्रामीणों का कहना था कि कंपनी द्वारा सीएसआर और विकास योजनाओं का लाभ सिर्फ जिला मुख्यालय और बाहरी क्षेत्रों तक सीमित है, जबकि खदान प्रभावित गांवों की दशा जस की तस बनी हुई है। आंदोलनकारियों ने रोजगार में स्थानीय युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने, प्रभावित परिवारों को मुआवजा देने और अधूरे विकास कार्यों को पूरा करने की मांग को लेकर करीब छह घंटे तक खदान का काम पूरी तरह बंद रखा।

प्रशासन और कंपनी के खिलाफ फूटा गुस्सा

आंदोलन का नेतृत्व कर रहे युवा कांग्रेस नेता उस्मान बेग ने कहा कि एसईसीएल का विकास सिर्फ कागज़ों पर है, ज़मीन पर नहीं। कंपनी ने वर्षों से इलाके के लोगों को केवल आश्वासन दिया, लेकिन न रोजगार मिला न बुनियादी सुविधाएं। उन्होंने कहा कि प्रभावित परिवार अब हक के लिए सड़क पर उतर चुके हैं और सरकार की चुप्पी उनकी नाराज़गी को और बढ़ा रही है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि अगर मांगें पूरी नहीं हुईं तो आंदोलन को जिला मुख्यालय तक ले जाया जाएगा। प्रदर्शन के दौरान मौके पर पहुंचे प्रशासनिक अधिकारियों और एसईसीएल प्रबंधन ने आंदोलनकारियों से वार्ता की और 30 दिनों के भीतर सभी मांगों पर कार्रवाई का लिखित आश्वासन दिया।

30 दिन में समाधान का वादा, नहीं तो होगा जीएम कार्यालय का घेराव

                   अधिकारियों के लिखित भरोसे के बाद आंदोलन फिलहाल स्थगित कर दिया गया, लेकिन ग्रामीणों और युवा कांग्रेस नेताओं ने स्पष्ट किया कि यह सिर्फ पहला चरण था। उस्मान बेग ने घोषणा की कि यदि तय समयसीमा में मांगें पूरी नहीं की गईं तो अगला कदम रायगढ़ स्थित एसईसीएल जीएम कार्यालय का उग्र घेराव होगा। प्रदर्शन के बाद भी ग्रामीणों में आक्रोश कायम है और लोगों का कहना है कि वर्षों से वादे सुनते-सुनते अब सब्र का बांध टूट चुका है। स्थानीय लोगों ने चेतावनी दी कि अगर कंपनी और प्रशासन ने जल्द ठोस कदम नहीं उठाए तो यह आंदोलन जिलेभर में फैल जाएगा और बड़े जनांदोलन का रूप ले सकता है।

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