Home रायगढ़ न्यूज गढ़उमरिया में फर्जी दस्तावेज से बेच दी गई महिला को जमीन

गढ़उमरिया में फर्जी दस्तावेज से बेच दी गई महिला को जमीन

by SUNIL NAMDEO EDITOR

रायगढ़ (सृजन न्यूज)। शहर से लगे ग्राम पंचायत गढ़उमरिया में कूटरचित और सुनियोजित तरीके से फर्जी दस्तावेजों का निर्माण कर जमीन बेचने का मामला प्रकाश में आया है। महिला फरियादी बिंदु अग्रवाल की शिकायत पर जूटमिल पुलिस ने इस फर्जीवाड़े में रामनिवास टॉकीज रोड निवासी सुरेश अग्रवाल पिता स्व. रामकुमार अग्रवाल के खिलाफ चार सौ बीसी का मुकदमा पंजीबद्ध किया है।

            पुलिस सूत्रों के मुताबिक प्रार्थिया बिंदू अग्रवाल पति विमल अग्रवाल (47 वर्ष) पेशा गृहणी निवासी मकान नंबर 9/2 वार्ड नंवर 16 सिविल लाईन रायगढ़ द्वारा मुख्तियार विमल अग्रवाल आत्मज स्व. नत्थूलाल अग्रवाल  (51 वर्ष) पेशा व्यापार निवासी केलो विहार कालोनी रायगढ़ ने सुरेश अग्रवाल से ग्राम गढउमरिया के पटवारी हल्का नंबर 07 तह.व जिला रायगढ खसरा नंबर 201/1 रकबा 0.074 हे. (18.5 डिसमील) जमीन 16 मार्च 2023 को क्रय किया था। उक्त जमीन को नामांतरण हेतु हल्का पटवारी से सम्पर्क करने पर बताया गया कि मौके पर उक्त जमीन राष्ट्रीय राजमार्ग में अधिग्रहण हेतू प्रस्तावित है। सुरेश अग्रवाल द्वारा उक्त्त भूमि खसरा नंबर 201/1 रकबा 0.203 हे. (50.5 डिसमील) को वर्ष 1984-85 में क्रय किया जाना दर्शित है। आरोपी सुरेश अग्रवाल द्वारा उक्त क्रयशुदा रकबे में से 0.038 हे. (9.5 डिसमील) को 30 अक्टूबर 2007 को संतोष अग्रवाल के पक्ष में विक्रय किया गया। तत्पश्चात खसरा नंबर 201/1/क रकबा 0.165 हे. (41 डिसमील) आरोपी के नाम पर शेष बचत रहा।

               सुरेश अग्रवाल द्वारा जिलाध्यक्ष के न्यायालय में एक आवेदन पत्र 09 अगस्त 2018 को प्रस्तुत करते हुए निवेदन किया गया कि भूमि खसरा नंबर 201/1 रकबा 0.203 हे. (50.5 डिसमील) स्थित रहा। उसे शासन द्वारा अधिग्रहण कर लिया गया है जिसका मुआवजा प्राप्त नहीं किया गया है। इसके उपरांत 23 सितंबर 2021 को अनुविभागीय अधिकारी के द्वारा नायब तहसीलदार से जांच कराने के उपरांत स्वयं का प्रतिवेदन जिलाध्यक्ष के न्यायालय में प्रस्तुत करते हुए व्यक्त किया गया कि भूमि खसरा नंबर 201/1 रकबा 0.203 हे (50.5 डिसमील) में से राजमार्ग हेतु 0.129 हे. (32 डिसमील) ही अधिग्रहित किया गया है और 0.074 हे. (18.5 डिसमील) सड़क मद में अधिग्रहण हेतू प्रस्तावित रहा है। ऐसे में एत्त 129 हे. (32 डिसमील) का ही तबादला स्वीकृत किये जाने योग्य है। ततपश्चात जिला अध्यक्ष द्वारा 12 नवंबर 2021 को आदेशित करते हुए तबादले में शासकीय भूमि ग्राम परसदा तहसील किरोडीमलनगर खसरा नंबर 583/2 से रकबा 0.129 हे. (32 डिसमील) को छ.ग. भू.रा. संहिता की धारा 237 (3) के तहत चरनोई भूमि से पृथक किया जाकर तबादला स्वीकृत किया गया था। अतएव मूल रकबे में घटाने पर 0.036 हे. (9 डिसमील) ही आरोपी सुरेश अग्रवाल के खाते में शेष रहा। इसके अतिरिक्त सुरेश अग्रवाल के खाते में खसरा नंबर 201/1 में कोई भी भूमि शेष बचत नहीं था। इसके बावजूद प्रवंचनापूर्वक अभिकथन करते हुए स्वयं को रकम की अत्यधिक आवश्यकता दर्शित करते हुए 15 फरवरी 2023 को प्रार्थिया से भूमि खसरा नंबर 201/1 रकबा 0.074 (18.5 डिसमील) हेक्टेयर को विक्रय करना प्रस्तावित किया गया। जबकि आरोपी के पास उक्तानुसार विवरणी के आधार पर मात्र 0.036 हे (9 डिसमील) ही जो कि राष्ट्रीय राजमार्ग में अधिग्रहण हेतु प्रस्तावित था, बचना चाहिए था।

               चूंकि, हल्का पटवारी व राजस्व अधिकारियों से आरोपी सुरेश अग्रवाल का प्रभाव रहने के कारण उन्हें अपने पक्ष में लेकर छलपूर्वक कूट रचना करते हुए धोखाधडी पूर्ण कार्यवाही करते हुए भूमि खसरा नंबर 201/1/क रकबा 0.074 हे. (18.5 डिसमील) को विक्रय किया गया है। आरोपी सुरेश अग्रवाल के द्वारा प्रार्थिया से नगद मूल्य 50,000 एवं आरटीजीएस के माध्यम से 2,00,000 रुपये 15 फरवरी 2023 को प्राप्त किया गया। इसके उपरांत आरटीजीएस के माध्यम से 22 फरवरी 2023 को मूल्य 2,00,000 रूपये प्रदान किया गया। तदुउपरांत विभिन्न दिनांको को 1,17,500 को नगद आवश्यकता दर्शित करते हुए आरोपी द्वारा नगद प्राप्त कर लिया गया था। चूंकि सौदा राशि मूल्य 15,00,000 रूपये निर्धारित था जिसे की पंजीयन हेतु तात्कालिक बाजार भाव 9,32,500 रुपये निर्धारित था। अतएव पूर्व से मुल्य 5,67,500 रूपये नगद व आरटीजीएस के माध्यम से प्राप्त कर लिया गया था इसलिये शेष विक्रय प्रतिफल राशि मूल्य 9,32,500 में से प्रार्थिया से रजिस्ट्री 16 मार्च 2023 को नगद 2.00,000 का भुगतान प्राप्त कर लिया गया और शेष बचत राशि के बदले चेक क्रमांक 000023 कोटेक महेन्द्रा बैंक का  31 मार्च 2023 का पी.डी.एस. के रूप में आरोपी को गवाहों के समक्ष प्रदान किया गया जिसे आरोपी द्वारा प्राप्त कर विक्रय पत्र का निष्पादन 16 मार्च 2023 को किया गया। इसके बाद प्रार्थिया द्वारा नामांतरण कराने के लिये प्रयास किये जाने पर उक्त समस्त तथ्यों की धीरे-धीरे जानकारी प्राप्त होने पर विभिन्न विभागों ने आरोपी के संबंध में चले प्रकरणों की खोजबीन किये जाने पर प्रतिलिपी प्राप्त होने पर स्वयं को छले जाने की जानकारी प्राप्त हुई।

                उक्तानुसार समग्र रूप से मनन किये जाने पर आरोपीगण ने न केवल प्रार्थिया के साथ छल कारित किये हैं, बल्कि अनाधिकृत तौर पर विक्री किये जाने की अनुमति भी हस्तगत करते हुए हल्का पटवारी से मिली भगत करके बिक्री नकल व अभिलेख की नकल व नक्शा प्रदान करने का भी दोषी है। साथ ही शासकीय अभिलेखों में भी अनाधिकृत प्रविष्टि कराने का दोषी होने के कारण के बाद जांच सक्षम न्यायालय में मामले का चालान भारतीय दंड विधान की विभिन्न धाराओं 420, 467, 468, 471, 120 (बी) 34 के तहत प्रस्तुत करने की कृपा करें।

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