Home विविध अडानी के खिलाफ ग्रामीणों में सुलगी विरोध की चिंगारी

अडानी के खिलाफ ग्रामीणों में सुलगी विरोध की चिंगारी

by SUNIL NAMDEO EDITOR

बड़े भंडार, छोटे भण्डार, अमलीभौना और सरवानी के बाशिंदों ने खोला मोर्चा

रायगढ़ (सृजन न्यूज)। कला और संस्कार धानी नगरी से औद्योगिक तीर्थ के रूप में तेजी से विकसित रायगढ़ जिले के पुसौर विकासखण्ड के लोगों ने इन दिनों अडानी पावर लिमिटेड के खिलाफ अपना मोर्चा खोल दिया है। दरअसल, अडानी कंपनी अपने विस्तार की कवायद में है और आगामी 12 जून को बकायदा इसकी जनसुनवाई भी है। ऐसे में औद्योगिक प्रदूषण की मार से कराह रहे ग्रामीणों के मन में विरोध की चिंगारी सुलगने पर वे लगातार बैठक करते हुए मुखालफत पर उतर आए हैं।

                  पुसौर ब्लॉक के ग्राम पंचायत बड़े भंडार, छोटे भंडार, अमलीभौना और सरवानी जैसे 4 गांवों के बीच स्थित अडानी पावर लिमिटेड अपने फैक्ट्री का विस्तार करना चाह रहा है। इसकी सरकारी प्रक्रिया भी शुरू हो गई और अगले महीने यानी 12 जुलाई को नजदीकी ग्राम सूपा में विधिवत जनसुनवाई भी मुकर्रर है। यही कारण है कि अडानी के भविष्य में विकराल रूप लेने के पहले जागरूक ग्रामीणों ने अपनी आवाज बुलंद करते हुए लड़ाई का श्रीगणेश भी कर दिया है।

               रायगढ़-सारंगढ़ नेशनल हाईवे में चन्द्रपुर के पहले ग्राम बड़े भण्डार मेन रोड किनारे स्थित यह फैक्ट्री पहले कोरबा वेस्ट के नाम से जानी जाती थी। लेकिन, अब यह अडानी पावर लिमिटेड है और उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए कंपनी अपने विस्तार की कवायद में है। जबकि, आसपास के ग्रामीण इसकी पुरजोर खिलाफत करते हुए अपना कमर तक कस चुके हैं। सृजन न्यूज की टीम जब ग्राउंड रिपोर्टिंग में पहुंची तो लोगों ने अडानी को कोसते हुए अपनी जमकर भड़ास भी निकाली।

              ग्रामीणों का आरोप है कि कोरबा वेस्ट उनके गांव की हरियाली को पहले ही खा चुकी है। और अब रहा सहा कसर अडानी पावर निकाल रहा है। कंपनी स्थापना के दौरान भूमि अधिग्रहण में स्थानीय लोगों की पुश्तैनी जमीन तो काफी पहले ही जा चुकी है, मगर शर्त के अनुसार उनके परिवार के सदस्यों को न तो स्थायी नौकरी मिली और न ही गोद गांव में सीएसआर मद से विकास की वो गंगा बही, जो नियमानुसार होनी चाहिए। यही नहीं, कंपनी प्रबंधन गांव की कच्ची सड़क को भी बना नहीं सकी। नतीजतन, बारिश होते ही रोड में पानी और कीचड़ भरा रहता है। ऐसे में विरोध की मशाल थामे ग्रामीण अब अडानी की जनसुनवाई में जमकर खिलाफत के लिए बैठकें भी कर रहे हैं ताकि अपने गांव के स्वरूप को औद्योगिक प्रदूषण की कालिख से बचा सके।

You may also like