Home छत्तीसगढ़ पैदायशी दिल की बीमारी की मार झेल रही छात्रा नेहा के लिए चिरायु योजना बनी संजीवनी

पैदायशी दिल की बीमारी की मार झेल रही छात्रा नेहा के लिए चिरायु योजना बनी संजीवनी

by SUNIL NAMDEO EDITOR

सारंगढ़-बिलाईगढ़ (सृजनन्यूज़)। कलेक्टर धर्मेश साहू के निर्देशन और जिला स्वास्थ्य विभाग के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एफआर निराला के मार्गदर्शन में चिरायु टीम अपने टारगेट के हिसाब से स्कूलों में दैनिक स्वास्थ्य जांच कर रही है। चिरायु कार्यक्रम अंतर्गत स्कूली व आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों का सामान्य स्वास्थ्य जांच व इलाज तो करती ही है, इसके साथ ही जांच के दौरान ऑपरेशन योग्य बीमारियों का चिन्हांकन, गम्भीर जन्मजात बीमारियों की पहचान व उपचार की व्यवस्था भी टीम करती है। इसी क्रम में चिरायु योजना ने जन्मजात हृदय रोग से जूझ रही छात्रा नेहा को नई जिंदगी दी है।

           सारंगढ़ ब्लॉक के माध्यमिक विद्यालय हरदी में अध्ययनरत छात्रा नेहा चौहान को पिछले सत्रांत में चिरायु टीम ने स्वास्थ्य जांच के दौरान गम्भीर जन्मजात हॄदय रोग से ग्रसित पाया था। उसे तत्काल उच्चस्तरीय जांच के लिए रेफर किया गया था, लेकिन परिजनों को समझाने में टीम को साल लग गए। सतत टीम की डॉ. नम्रता के द्वारा फोन कॉल के माध्यम से इलाज के लिए प्रेरित किया जाता रहा है। वहीं, इतने दिन बाद अभी परिजन इस प्रकार के अन्य बच्चों के सफल ऑपरेशन को देखने, जानने व सुनने के बाद इलाज हेतु तैयार हुए।

     फिर सारे कागजात तैयार करने के उपरांत गत 25 दिसम्बर 2024 को इलाज हेतु रायपुर स्थित एसएमसी अस्पताल में भर्ती किया गया। सभी जांच होने के उपरांत 27 दिसम्बर को सफलतापूर्वक निःशुल्क ऑपरेशन किया गया। कुछ दिन तक अपने सूक्ष्म ऑब्जर्वेशन में रखने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है। नेहा अब पहले से स्वस्थ महसूस कर रही है। परिजन सरकार की इस चिरायु योजना व चिरायु टीम का बहूत बहुत आभार व्यक्त की हैं।

                      विभाग प्रमुख डॉ. एफआर निराला के सतत मोनिटरिंग, मोटिवेशन व मार्गदर्शन से चिरायु टीम सभी स्कूलों में स्वास्थ्य परीक्षण सत्र में एक बार व समस्त आंगनबाड़ी केंद्रों में सत्र में दो बार जांच, चिन्हांकन व लाज निरंतर कर रही है। खण्ड चिकित्सा अधिकारी डॉ. आरएल सिदार और जिला कार्यक्रम प्रबन्धक नन्दलाल इजारदार के सहयोग तथा सारंगढ़ चिरायु टीम की डॉ. प्रभा सारथी, डॉ.बीता पटेल, डॉ. नम्रता मिंज के अथक प्रयास से स्वास्थ्य जांच, चिन्हांकन व इन बच्चों के उच्चस्तरीय लाज सम्भव हो पा रहे हैं।

हृदय रोग से नुकसान:

जन्मजात हॄदय रोग से ग्रसित बच्चे का उम्र तो समय के साथ बढ़ता जाता है, मगर हर तरफ से शारीरिक व मानसिक विकास नहीं हो पाता। ऐसे में ये बच्चे अन्य बच्चों की तरह अपने आपको स्वस्थ अनुभव नहीं करते हैं। बार-बार कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। दैनिक कार्य के साथ साथ पढ़ाई में भी एकाग्रता की भारी कमी दिखती है।

जिले के नोडल अधिकारी (चिरायु) डॉ. प्रभुदयाल खरे ने कहा कि टीम बराबर स्कूली व आंगनबाड़ी के बच्चों की जांच कर रही है। इसके उपरांत उनका लाज भी सुनिश्चित करती है। जिनका उपचार राज्य में सम्भव नहीं होता, उन्हें राज्य के बाहर भी चिरायु टीम ईलाज करवाती है। अभी हमारे बरमकेला ब्लॉक के एक दुर्लभ गम्भीर जन्मजात हॄदय रोग से ग्रसित बच्चे का ऑपरेशन अपोलो चिल्ड्रेन अस्पताल चेन्नई में होना है, जिसके लिए कागजात पूरी कर ली गयी है।

You may also like