Home रायगढ़ न्यूज खुशियों की हरीतिमा और विदा होती सुहागन बेटी !

खुशियों की हरीतिमा और विदा होती सुहागन बेटी !

by SUNIL NAMDEO

इन्द्रधनुष केवल आकाश में नहीं खिलता। जिंदगी में भी कई बार खुशियों के सतरंगी इन्द्रधनुष खिलखिला उठते हैं। परिणय-अवसर भी इसी इन्द्रधनुष के आमंत्रण का अवसर होता है। परिणय के हल्दी-पीले रंग के साथ पौधरोपण के हरे रंग की यह जुगलबंदी, समीपस्थ ग्राम ढेकुनाभांठा रायगढ़ के प्रतिष्ठित सामाजिक नागरिक उमाशंकर पटेल और उनकी सहधर्मिणी श्रीमती कुसुम की लाडली भतीजी भूमिका संग रूपेन्द्र के विवाह अवसर पर खूब जमी।

                          संगीत के आदिदेव नटराज शिव के मंदिर में स्व. जनकराम-श्रीमती अनिता पटेल और अपने स्व. दादा मालगुजार घासीलाल-पद्मावती पटेल के अनंत-अशेष आशीष के मंडप में सप्तपदी सम्पन्न हुई।
इसी परिणय-मंडप में उमाशंकर और श्रीमती कुसुम सहित पूरे गांव ने नवदम्पत्ति को आशीष दिया और उपहार में दिया एक अनूठा वचन ! यह उपहार था इसी सावन से आरंभ करते हुए प्रत्येक सावन में पौधरोपण का हरा-भरा उपहार ! “शुभस्य शीघ्रम” की तर्ज पर फूल एवं फलों का सघन पौधरोपण आरंभ किया गया। मंदिर के पुजारी बाबा राजेश्वर, ग्राम की महिलाएं-पुरूष तथा नन्हे बच्चे पूरे मनोयोग और उत्साह से पौधरोपण में जुट गये। 7 बच्चों की टोली का यह कार्य ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे श्वेत वस्त्र में आकाश से सप्तऋषि उतर आये हों। शायद छत्तीसगढ़ में यह पहला और अनूठा पौधरोपण था जो पूरे समय बैंड – बाजे के साथ संपन्न हुआ। गांव की महिलाओं ने यह आश्वस्ति दी कि प्रत्येक पौधे का ध्यान रखा जायेगा। शमी, तुलसी, पारिजात, हरसिंगार, रजनीगंधा सहित मौसमी फलों के पौधे लगाये गये। इन पौधों ने पूरे गांव को मानो एकजुट कर दिया था।

                             विवाह की रस्में, खुशियों की निमंत्रण पत्रिका होती हैं। लेकिन, बेटी की विदाई का अवसर कलेजा हिलाने वाला होता है। पुजारी बाबा, गांव के स्त्री-पुरूष और खुद उमाशंकर सब विव्हल थे। ग्राम ढेकुनाभांठा की सुहागन बेटी भूमिका विदा हो रही थी। अभूतपूर्व दृश्य था। पौधरोपण के कारण, ढेर सारे पौधों की हंसती हुई हरियाली के मध्य, मायके से विदा होती, आंसू भरी भूमिका बेटी को सारा गांव आशीष दे रहा था। गांव के ओठों पर शब्द थे- ’’तुम जा रही हो …. लेकिन इस गांव को तुम हरियाली की सौगात देकर जा रही हो। हमारा वचन है कि आज के पौधों को, कल के वृक्ष के रूप में विकसित करने की जिम्मेदारी अब हमारी है।’’ नये जीवन की ओर धीरे-धीेरे कदमों से जाती बेटी की विदाई के आंसू और पूरे परिवेश में नवरोपण पौधों की हरीतिमा का यह गंगा-जमुना योग, पूरे गांव की आंखों को गीला कर गया। इस पूरे आयोजन के सूत्रधार उमाशंकर पटेल की आंखें हर्ष से छलक गई थीं।

                    बेटी के विवाह और विदाई तथा इस पूरे आयोजन का अपना एक हरा-भरा संदेश भी है। एक नितांत छोटे से गांव की इस साधारण कथा का संदेश असाधारण है। हर गांव-नगर में, नव वधू के आगमन पर और हर सुहागन बेटी की विदाई पर, उसके जीवन की शुभता, कल्याण और वंश-विकास की मंगल कामना के लिए हम पौधरोपण के प्रति संकल्पित हों। आपके द्वारा नवरोपित पौधे आपके परिवार का हिस्से बनें। खूब फलें-फूलें ! यही आशीर्वाद तो फलित होता है। हर गांव में एक उमाशंकर जैसे लोग हों जो कहानी को हरे यथार्थ में बदल देते हैं- “मैने चिड़िया पाली/वो उड़ गई/मैने बुलबुल पाली/ वो उड़ गई/ मैने आंगन में पेड़ लगाया/ अब चिड़िया लौट आई ….! और हां वो बुलबुल भी लौट आई।” पेड़ लगाइये ……. खुशियों के पाखी गुनगुनाते चले आयेंगे।

प्रो. अम्बिका वर्मा 

मोबाइल नंबर 8839362121 vipvermag@gmai.com

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