Home छत्तीसगढ़ करमा वृक्षों की कटाई है सुनियोजित साजिश – गणेश राम भगत

करमा वृक्षों की कटाई है सुनियोजित साजिश – गणेश राम भगत

by SUNIL NAMDEO EDITOR

 जशपुरनगर (सृजन न्यूज)। दुलदुला ब्लॉक के धुरीअंबा, सिमड़ा क्षेत्र में हजारों करमा वृक्षों को काटने की घटना को लेकर पूर्व मंत्री गणेशराम भगत ने कहा कि जिस प्रकार से मिशनरियों के द्वारा आदिवासी समाज का धर्मांतरण करने के लिए उनकी आस्था के केंद्र सरना स्थलों को नष्ट किया गया। इस तरह  अब जशपुर में आदिवासियों की आस्था के प्रमुख वृक्ष करमा विहीन करने का षड्यंत्र चल रहा है ताकि आने वाले समय में आदिवासी समाज करमा वृक्ष के महत्व को भूल जाए और करम पूजा की परंपरा को नष्ट किया जा सके।

          विदित हो कि जशपुर जिले के दुलदुला ब्लॉक के धुरीअंबा, सिमड़ा क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से लगातार करमा के अत्यंत प्राचीन लगभग 200 300 वर्ष पुराने वृक्षों की कटाई धड़ल्ले से चल रही थी और उन वृक्षों की लकड़ियों को ट्रकों में भर कर लकड़ी तस्करों के द्वारा जिले से बाहर ले जाया जा रहा था। ग्रामीणों के द्वारा पूर्व मंत्री एवं अखिल भारतीय जनजाति सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत को इस बात की सूचना दी थी। श्री भगत मौके पर पहुंचे और मौके से ही वन विभाग एवं राजस्व विभाग से उक्त संबंध में जानकारी चाही गई। राजस्व विभाग के द्वारा यह बताया गया कि भूमि स्वामियों के द्वारा अपने निजी भूमि पर प्राकृतिक रूप से उगे पुराने करमा वृक्षों को काटने की अनुमति चाही गई थी और भूमि स्वामी के आवेदन पर पेड़ काटने की अनुमति दी गई है।

          राजस्व विभाग के उस बयान की जब पड़ताल की गई तो कई ऐसे सवाल उठे जिसका उत्तर ना तो राजस्व विभाग के पास था और ना ही वन विभाग के पास। श्री भगत ने जांच के दौरान जिस भूमि स्वामी को सात करमा के पेड़ काटने की अनुमति एसडीएम कुनकुरी के द्वारा दी गई थी। इस संबंध में जब भूमि स्वामी महिपाल राम से पूछताछ की गई तो उसने बताया गया कि वह एसडीएम कार्यालय कभी पेड़ काटने की अनुमति लेने गया ही नहीं है। महिपाल राम ने यह भी बताया कि जिस जमीन पर करमा के 200_ 300 साल पुराने वृक्ष हो गए हैं। वास्तव में वह भूमि उसे 1975 में बंटन में शासन से प्राप्त हुई है और उक्त भूमि पर उसके द्वारा कभी भी कोई पेड़ नहीं लगाया गया। सवाल यह उठता है कि शासन से बंटन में मिली भूमि पर यदि पट्टा प्राप्त करने के पूर्व से ही प्राकृतिक रूप से वृक्ष लगे थे तो ऐसे वृक्षों को काटने की अनुमति किस आधार पर दी गई। सवाल यह भी है कि जब महिपाल राम, एसडीएम कार्यालय पेड़ काटने की अनुमति लेने गया ही नहीं तो आखिर किसके द्वारा उक्त अनुमति का आवेदन लगाया गया तो किस आधार पर एसडीएम के द्वारा पेड़ काटने की अनुमति दी गई। महिपाल राम ने ने बताया कि जावेद नाम का व्यक्ति उसकी लकड़ी खरीदा है और उसी के द्वारा एसडीम के पास पेड़ काटने की अनुमति का आवेदन लगाया गया था। विदित हो कि जावेद के द्वारा महिपाल राम के जमीन पर लगभग 200-300 साल के पुराने वृक्ष को काटने की एवज में सात पेड़ों के एवज में 7000 रुपए मात्र दिए हैं। जबकि उन सात पेड़ों को काटने के पश्चात लगभग तीन ट्रक लकड़ी जावेद के द्वारा ले जाया जा चुका है और दो-तीन ट्रक लकड़ी अभी भी मौके पर है।

         भगत की शिकायत पर राजस्व विभाग के तहसीलदार के द्वारा लकड़ी को जप्त करने की कार्रवाई की गई। वन विभाग को उक्त जप्त सुदा लकड़ी कष्टगार गम्हरिया में रखने हेतु सुपुर्द किया गया किंतु कष्टगार गम्हरिया में सिर्फ एक ट्रक लकड़ी ही पहुंच पाया और जप्तशुदा लकड़ी को मौके से जावेद के द्वारा क्रेन में लकड़ी ट्रक पर लोड कर लगभग तीन से चार ट्रक लकड़ी चोरी कर ले जाया गया है इस संबंध में श्री भगत ने तहसीलदार दुलदुला को जावेद एवं उक्त घटना में संलिप्त अन्य लोगों के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज करने तथा जप्त सुदा लकड़ी को उठाने एवं ले जाने में प्रयुक्त क्रेन एवं ट्रक को जप्त कर राजशत करने की की मांग की गई है। तहसीलदार दुलदुला के द्वारा मौके पर पहुंचकर उक्त संबंध में ग्रामीणों की उपस्थिति में पंचनामा तैयार कर जप्तशुदा लकड़ी को काष्ठागार गम्हरिया भेजने की कार्यवाही की गई।

         विदित हो कि इस घटना के अलावा भी दुलदुला क्षेत्र के कई किसानों की भूमि पर प्राकृतिक रूप से उगे हजारों करमा के वृक्षों को जावेद के द्वारा काटकर गिरा दिया गया है। मौके पर यह भी दिखाई दिया कि न केवल करमा के वृक्ष, बल्कि फलदार जामुन एवं सेमर के भी हजारों वृक्षों को अवैध रूप से कटकर गिरा दिया गया है। दुलदुला क्षेत्र में 200-300 वर्ष पुराने करमा के वृक्षों को जिस बेदर्दी से काटा गया है उसे देखकर श्री भगत ने कहा कि यह कोई मामूली घटना नहीं है, बल्कि सुनियोजित षड्यंत्र के तहत किया जा रहा है। श्री भगत ने आरोप लगाया कि हो ना हो इस कार्य में मिशनरी संस्थाएं संलिप्त है। उन्होंने कहा कि 100 वर्ष पूर्व जशपुर के प्रत्येक गांव में सरना स्थल हुआ करते थे जिसमें स्थानीय आदिवासियों की आस्था थी किंतु लगातार उनको धर्मांतरित करने की योजना से उनके आस्था के केंद्र सरना स्थलों को काटकर नष्ट कर दिया गया। उसी प्रकार आदिवासी समाज की आस्था का प्रमुख केंद्र करमा वृक्ष होता है, जिसकी डाली की पूजा आदिवासी समाज भादो एकादशी के दिन करता है। करमा वृक्ष को देव के रूप में पूजता है हो ना हो सरना स्थलों को नष्ट करने की तरह मिशनारियों के द्वारा जानबूझ कर करमा के वृक्षों को कटवाया जा रहा है ताकि आदिवासी समाज की आस्था का केंद्र समाप्त हो जाए और उन्हें धीरे-धीरे धर्मांतरित कर ईसाई बनाया जा सके।

          बहरहाल इस विषय को लेकर आदिवासी समाज के अंदर आक्रोश पनप रहा है और संभावनाएं जताई जा रही है कि इस गंभीर विषय को लेकर अखिल भारतीय जनजाति सुरक्षा मंच कोई बड़ा कदम उठा सकता है। इस संबंध में जब श्री भगत से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह कोई छोटा विषय नहीं है। इसकी जांच के लिए मेरे द्वारा केंद्र सरकार को पत्र लिखा जा रहा है और यदि जल्द ही दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं हुई तो अखिल भारतीय जनजाति सुरक्षा मंच सड़क पर उतरकर इस विषय को लेकर आंदोलन करेगा, यह हमारे धर्म और आस्था का विषय है।

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