लखनऊ-जयपुर घराने की बारीकियों से भारतीय परंपरा और संस्कृति का प्रस्तुत किया अद्भुत चित्रण, उस्ताद बिस्मिल्लाह खां युवा पुरस्कार से सम्मानित हैं कलाकार
रायगढ़ (सृजन न्यूज़)। चक्रधर समारोह का मंच आज शास्त्रीय नृत्य की माधुरी से सराबोर रहा। बंगलुरू के प्रख्यात कथक कलाकार डॉ. लक्ष्मीनारायण जेना और उनकी टीम ने कथक की ऐसी अनुपम प्रस्तुति दी कि दर्शक भावविभोर होकर तालियों की गड़गड़ाहट से सभागार गूंजाते रहे।
डॉ. जेना ने लखनऊ-जयपुर घराने की बारीकियों को अपने नृत्य में समाहित कर भारतीय परंपरा और संस्कृति का अद्भुत चित्रण प्रस्तुत किया। उनकी भाव-भंगिमाएं, पदचालन और ताल की सटीकता ने कथक की शास्त्रीयता को मंच पर जीवंत कर दिया। प्रस्तुति में उनके साथ मैसुर बी. नागराज, अजय कुमार सिंह, रघुपति झा और विजय ने संगत कर समां और भी भव्य बना दिया। भाव, राग और ताल के इस अनूठे संगम ने समारोह में उपस्थित कला प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
गौरतलब है कि कथक एक उत्तर भारतीय शास्त्रीय नृत्य है, जिसकी विशेषता जटिल पैरों के बोल, सुंदर हस्त-संचालन, चेहरे के भावों का प्रयोग और कहानी कहने की कला है। कथक नृत्य में अनुसरण किया जाने वाला क्रम आमद – एक नर्तकी का नाटकीय और आकर्षक प्रवेश, थाट – नृत्य का कोमल और सुरुचिपूर्ण भाग, तोरा, टुकरा और परन- नृत्य की रचनात्मक रचनाएँ, परहंत- कोमल लय के चरण और तत्कार- पैर की गति है।
डॉ. लक्ष्मीनारायण जेना को भारत सरकार द्वारा प्रतिष्ठित “उस्ताद बिस्मिल्लाह खां युवा पुरस्कार” से सम्मानित किया जा चुका है। वे विदेशों में भी भारत की सांस्कृतिक धरोहर को मंच पर प्रस्तुत कर चुके हैं और आज रायगढ़ के ऐतिहासिक मंच पर उनकी उपस्थिति ने समारोह की गरिमा को और बढ़ाया।