हत्याकांड को चोरी का रूप देने वाले कातिल चढ़े पुलिस के हत्थे
रायगढ़ (सृजन न्यूज़)। जिले के घरघोड़ा थानांतर्गत ग्राम कठरापाली हत्याकांड का घरघोड़ा पुलिस ने किया महज 6 घंटे में ही खुलासा करते हुए कातिलों को अपने हत्थे चढ़ा लिया है। दरअसल, पिता की जमीन बेचने की रंजिश में बेटे ने अपने साथी के संग ही हत्या की साजिश रची थी। यही वजह है कि पुलिस ने मृतक के उस बेटे और उसके साथी को गिरफ्तार कर लिया है, जिन्होंने खूनी वारदात को चोरी का रूप देने का प्रयास किया, मगर वर्दीधारियों की जांच में असलियत सामने आ गई।
घरघोड़ा थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम कठरापाली में 62 वर्षीय नत्थूराम चौहान की हत्या के मामले का पुलिस ने महज 6 घंटे के भीतर खुलासा कर दिया है। पुलिस ने मृतक के बेटे मालिक राम चौहान और उसके साथी सजन अगरिया को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे भेज दिया। जानकारी के मुताबिक 2 सितंबर की सुबह ग्राम कठरापाली बगईढोडहा स्थित खेत-बाड़ी में नत्थूराम चौहान का लहूलुहान शव मिला था। सूचना मिलते ही थाना प्रभारी निरीक्षक कुमार गौरव साहू मौके पर पहुंचे और हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू की।
मृतक के परिजनों और ग्रामीणों से पूछताछ में संदेह नत्थूराम के बेटे मालिकराम पर गया। पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की, जिसमें उसने अपने साथी सजन अगरिया के साथ मिलकर हत्या करना कबूल कर लिया। आरोपी मालिक राम ने बताया कि वह अपने पिता की जमीन बेचना चाहता था, लेकिन नत्थूराम इसके लिए तैयार नहीं थे। इसी रंजिश के चलते मालिकराम और सजन ने 1 सितंबर की रात हत्या की योजना बनाई। घटना वाली रात सजन अगरिया ने मृतक को घरवालों के बुलाने का बहाना बनाकर बाहर बुलाया और जैसे ही वह निकले, मालिकराम ने टांगी से उन पर जानलेवा हमला कर हत्या कर दी। दोनों आरोपियों ने घटना को चोरी का रूप देने के लिए बोरवेल पंप का तार काटकर टांगी और तार खेत में फेंक दिए जिससे चोरी के लिए हत्या प्रतीत हो। पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर धारा 103(1), 61 (2), 49, 238, 3 (5) बीएनएस के तहत न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें रिमांड पर भेजा गया।
पुलिस अधीक्षक दिव्यांग पटेल के निर्देशन, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आकाश मरकाम और एसडीओपी धरमजयगढ़ सिद्धांत तिवारी के मार्गदर्शन में महज छह घंटे में इस हत्या का पर्दाफाश किया गया। इस सफलता में थाना प्रभारी कुमार गौरव साहू, एएसआई खेमराज पटेल, प्रधान आरक्षक परासमणी बेहरा, आरक्षक हरीश पटेल, उधो पटेल और चंद्रशेखर चंद्राकर की अहम भूमिका रही।