Home मनोरंजन विदेशी मंचों पर प्रतिभा का परचम लहराने वाले पं. भूपेन्द्र बरेठ ने रायगढ़ घराने की परंपरा को दी नई ऊंचाई

विदेशी मंचों पर प्रतिभा का परचम लहराने वाले पं. भूपेन्द्र बरेठ ने रायगढ़ घराने की परंपरा को दी नई ऊंचाई

by SUNIL NAMDEO

चक्रधर समारोह में गूंजी रायगढ़ घराने की परंपरा, पद्मश्री पं. रामलाल बरेठ के पुत्र हैं भूपेंद्र बरेठ

रायगढ़ (सृजन न्यूज़)। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चक्रधर समारोह 2025 के मंच पर रायगढ़ घराने के सुप्रसिद्ध कथक नर्तक एवं गुरु पं. भूपेन्द्र बरेठ ने अपनी अद्वितीय प्रस्तुति से इस गौरवशाली परंपरा को नई ऊँचाई प्रदान की। उन्होंने श्रीराम स्तुति और महाराजा चक्रधर सिंह से जुड़ी पारंपरिक बंदिशों की मनमोहक प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी भावपूर्ण नृत्य साधना ने न केवल दर्शकों को भावविभोर किया, बल्कि पूरा वातावरण कला और संस्कृति से सराबोर हो उठा। दर्शक दीर्घा तालियों की गड़गड़ाहट से देर तक गूंजती रही।
        रायगढ़ की धरती पर जन्मे पं. भूपेन्द्र बरेठ, रायगढ़ घराने के वरिष्ठ नृत्याचार्य एवं पद्मश्री पं. रामलाल बरेठ के पुत्र हैं। उन्हें कथक की शिक्षा राजा चक्रधर सिंह के शिष्य स्व. पं. कार्तिकराम प्रसाद तथा अपने पिता से प्राप्त हुई। तबला वादन की शिक्षा भी उन्हें अपने पिता से ही मिली। शास्त्रीय शिक्षा की मजबूत नींव रखते हुए उन्होंने इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ से स्नातक व स्नातकोत्तर उपाधि अर्जित की और प्रयाग संगीत समिति, इलाहाबाद से नृत्य व तबला वादन की उच्च डिग्रियाँ हासिल कीं।
                 पं. भूपेन्द्र बरेठ ने अपनी कला से न केवल देश, बल्कि विदेशों में भी विशेष पहचान बनाई है। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित उत्तर अफ्रीका की कलायात्रा, मलेशिया का अंतरराष्ट्रीय संगीत-नृत्य समारोह, तथा पुणे, दिल्ली, भोपाल, ग्वालियर, जांजगीर और खंडवा जैसे शहरों के प्रतिष्ठित मंचों पर उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। दिल्ली-जयपुर में आयोजित जयपुर घराना नृत्य समारोह एवं मध्यप्रदेश के विभिन्न सांस्कृतिक आयोजनों में भी उनकी प्रस्तुतियों को विशेष सराहना मिली है।

                 उन्हें कला में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए शासन व प्रतिष्ठित संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया है। चक्रधर समारोह 2025 के मंच पर पं. भूपेन्द्र बरेठ की साधना ने दर्शकों को उस गहराई से जोड़ा, जिसकी नींव उनके पिता पद्मश्री पं. रामलाल बरेठ और महान गुरुओं ने रखी थी।

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