Home छत्तीसगढ़ श्री सांई कम्यूटर ने खसरा नंबर 655 की सरकारी जमीन पर कर रखा है अवैध कब्जा

श्री सांई कम्यूटर ने खसरा नंबर 655 की सरकारी जमीन पर कर रखा है अवैध कब्जा

by SUNIL NAMDEO

चंद्रपुर में सर्किट हाउस के सामने ग्राम सेवक क्वाटर चढ़ा अतिक्रमण की भेंट

रायगढ़ (सृजन न्यूज)। पड़ोसी जिले सक्ती के तहसील कार्यालय, चंद्रपुर के फाइल में खसरा नंबर 655 भले ही सरकारी जमीन घोषित है, मगर इसे एक कारोबारी ने कब्जा करते हुए उसे श्री सांई कम्यूटर का बिल्डिंग बना रखा है। हम बात कर रहे हैं रायगढ़-सारंगढ़ नेशनल हाइवे से लगे चंद्रपुर में सर्किट हाउस के सामने शासकीय भूमि की, जो वर्तमान में अतिक्रमण की भेंट चढ़कर कायदे कानून का मखौल उड़ाने के लिए काफी है।

                              धार्मिक नगरी चंद्रपुर वैसे तो मां चंद्रहासिनी मंदिर के लिए पूरे छत्तीसगढ़ में विख्यात है, लेकिन यहां भी अतिक्रमण कारियों की गिद्ध निगाहें सरकारी जमीनों को नहीं बख्श रहे हैं। इसका जीवंत उदाहरण है चंद्रपुर बस्ती रोड में सर्किट हाउस के ठीक सामने खसरा नंबर 655। तहसील कार्यालय के रिकॉर्ड में खसरा नंबर 655 कहने को शासकीय भूमि के तौर पर दर्ज है, मगर अतिक्रमण कारियों ने इसे निगलते हुए आलीशान कारोबारी स्थल बना डाला है। ताज्जुब की बात तो यह है कि सरकारी जमीन को हथियाने के लिए बेजाकब्जा की यह कहानी इतनी सुनियोजित तरीके से लिखी गई कि हल्के फुल्के विरोध की आंधी भी इसे डगमगा नहीं पाई और यह काला खेल लोगों की नजरों में सफेद दिखने में कामयाब हो गया।

       आपको बता दें कि चंद्रपुर में सर्किट हाउस के सामने खसरा नंबर 655 में कभी ग्राम सेवक क्वाटर हुआ करता था। ग्राम सेवक क्वाटर और इलाहाबाद बैंक के बीच सड़क किनारे खिलेश्वर नामदेव की अपना टेलर नामक टपरीनुमा दर्जी दुकान और आलोक महाराज की बुक एंड जनरल स्टोर हुआ करता था। फिर कुछ लोगों ने षड्यंत्र रचते हुए अपना टेलर और बुक एंड जनरल स्टोर को बेजाकब्जा करार देकर नगर पंचायत की जेसीबी चलवाते हुए उसे ध्वस्त करा दिया। जबकि, श्री सांई कम्यूटर भी बेजाकब्जा की जद में था पर उसे लाभ पहुंचाने की नीयत से बक्श दिया गया। इस तरह दो गरीब दुकानदारों की पेट मे लात मारते हुए अतिक्रमण करने वाले तीसरे कारोबारी को अभयदान देने की कुप्रथा का ही दुष्परिणाम है कि अब खसरा नंबर 655 की शासकीय भूमि पर लाखों रुपए खर्च कर वहां श्री साईं कम्प्यूटर की बिल्डिंग तनकर खड़ी है। यही वजह है कि कुछ सामाजिक कार्यकर्ता अब खसरा नंबर 655 को अतिक्रमण मुक्त करने का अभियान चलाते हुए मोर्चा भी खोल चुके हैं।

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