गुंडिचा मौसी के घर एक सप्ताह रहने के बाद भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के संग लौटेंगे मंदिर



रायगढ़ (सृजन न्यूज)। आषाढ़ शुक्ल तृतीया की शाम हरिबोल के जयघोष के साथ रथारूढ़ भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा अपने ननिहाल पहुंचे। रायगढ़ की पुरानी बस्ती में रथारूढ़ त्रिदेव के दर्शन के लिए सड़क पर भक्तों का रेला लगा रहा। ओड़िशा से आए कलाकारों और भव्य जुलूस ने रथयात्रा को यादगार बना दिया। गुंडिचा मौसी के घर एक सप्ताह रहने के बाद महाप्रभु की पुनः मंदिर में वापसी होगी।
रायगढ़ में रियासतकालीन रथयात्रा का अपना समृद्ध इतिहास है। आषाढ़ शुक्ल द्वितीया की शाम जगन्नाथ मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और राजपरिवार के सदस्य द्वारा छेरापहरा के रस्म के साथ ही भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और सुभद्रा देवी को मंत्रोच्चार के बीच रथ में विराजित किया गया। रथयात्रा को चार चांद लगाने मोतीमहल प्रांगण में भव्य मेला भी लगा रहा। वहीं, आषाढ़ शुक्ल तृतीया की शाम बाजेगाजे और कीर्तन मंडली के भक्तिपूर्ण वातावरण में रथारूढ़ त्रिदेव को उनके ननिहाल ले जाया गया। गुंडिचा मौसी के घर 7 दिन रहने के पश्चात आगामी 5 जुलाई यानी आषाढ़ शुक्ल दशमी की संध्या त्रिदेव को रथों में विराजित कर मंदिर वापस लाने की परंपरा होगी।
इन समितियों ने निकाली रथयात्रा
रायगढ़ के पुरानी बस्ती में 4 समितियां रथ निकालती हैं। इनमें राजा पारा से उत्कल समिति, चांदनी चौक रथोत्सव समिति, सोनार पारा से प्रगति कला मंदिर और गांजा चौक से छत्तीसगढ़ सांस्कृतिक मंच की युवा टीम रथ निकालते हुए रथयात्रा की धार्मिक परंपरा को आगे बढ़ाने में उल्लेखनीय भूमिका निभाती है।
ओड़िशा की घंट पार्टी, मोर नृत्य ने बांधा समां
राजशाही जमाने से पुरानी बस्ती में निकलने वाली रथयात्रा की रौनक इस मर्तबे और दमदार रही। दरअसल, उत्कल समाज के द्वारा ओड़िशा की घंट पार्टी और मोरनी बनी युवतियों के मनमोहक नृत्य ने भक्तों की खूब वाहवाही लूटी। इसी तरह जसगीत गायक देवेश शर्मा एंड टीम ने एक से बढ़कर एक भजन पेश करते हुए लोगों को झूमने पर विवश कर दिया।

दमदार लाइटिंग की रोशनी से चमकदार रहा रथ
इस बार चारों समितियों के रथों ने न केवल भक्तों, बल्कि पूरे रायगढ़ वासियों का भी दिल जीत लिया। रंगबिरंगी रोशनी और अपनी आभा से रथों की चमक देखने लायक रही। वहीं, पुलिस प्रशासन की भी चुस्त दुरुस्त व्यवस्था की लोगों ने सराहना भी की।


