चंद्रपुर में सर्किट हाऊस के सामने सरकारी जमीन चढ़ा बेजाकब्जा की भेंट, नगर पंचायत मौन




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रायगढ़ (सृजन न्यूज)। धार्मिक नगरी चंद्रपुर में अतिक्रमण कारियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे सरकारी जमीनों को भी नहीं बक्श रहे हैं। ऐसे ही एक मामले में एक कारोबारी ने ग्राम सेवक भवन पर न केवल कब्जा किया, बल्कि वहां आलीशान भवन बनाते हुए उसमें साई कम्प्यूटर नामक व्यवसाय का धड़ल्ले से संचालन तक कर रहा है। वहीं, इस मामले में नगर पंचायत की कार्रवाई शून्य है जो कई सवालिया निशान भी लगा रहा है।
छत्तीसगढ़ सरकार जहां भू-माफियाओं और अतिक्रमण कारियों के खिलाफ सख्ती से पेश आते हुए उन्हें सबक सिखाने के लिए कानूनी कार्रवाई कर रही है, वहीं सक्ती जिले के नगर पंचायत, चंद्रपुर में बेजाकब्जा की बाढ़ सी आ गई है। हद तो तब हो जाती है, जब शासकीय भूमि तक को लोग हड़प कर उसमें रिहायशी और कारोबारी बना देते हैं। अविभाजित मध्यप्रदेश में चंद्रपुर के सर्किट हाउस के ठीक सामने जिस जगह पर कभी ग्राम सेवक क्वाटर हुआ करता था, अब वह सरकारी जमीन भी अतिक्रमण की जद में आकर कमर्शियल हो गई है।
आपको बता दें कि अविभाजित मध्यप्रदेश यानी सन 1980-85 के दौरान चंद्रपुर में सर्किट हाउस के नजदीक ग्राम सेवक क्वाटर बना था। वहां तत्कालीन ग्राम सेवक श्री शर्मा के बाद गणेश राम साहू और कई लोग आए और अपनी ड्यूटी निभाते हुए सेवानिवृत्त हुए। ग्राम सेवक क्वाटर के समीप इलाहाबाद बैंक की चंद्रपुर शाखा भी संचालित हुई। ग्राम सेवक क्वाटर और इलाहाबाद बैंक के बीच सड़क किनारे स्वर्गीय खिलेश्वर प्रसाद नामदेव का अपना टेलर और आलोक महाराज का पुस्तक एवं जनरल स्टोर हुआ करता था, जिसे कुछ महीने पहले नगर पंचायत ने बेजाकब्जा मानते हुए ध्वस्त करते हुए मलबे को ट्रैक्टर से स्कूल मैदान में डाल दिया।
जानकार बताते हैं कि बीते वर्ष एक नायब तहसीलदार ने ग्राम सेवक भवन के सामने सालों से रोजगार कर रहे दर्जी ठेला समेत दोनों दुकानों को अतिक्रमण की जद में मानते हुए बिना नोटिस जारी कर तोड़ने का फरमान जारी किया। यही नहीं, बकायदा जेसीबी से दोनों ठेलों को ध्वस्त करते हुए जमीन खाली कराने की कार्रवाई भी हुई। लेकिन, प्रशासन की यह कार्रवाई केवल दो ही गरीब दुकानदारों पर हुई और आसपास की दुकानें बख्श दी गई। यही वजह है कि जहां कभी ग्राम सेवक भवन हुआ करता था, वहां सुनियोजित तरीके से बेजाकब्जा कर अब साई कंप्यूटर नामक एक ऐसा व्यवसाय खुलेआम चल रहा है, जो दो मंजिला इमारत का रूप लेकर सरकारी नियमों की सच्चाई को मुंह चिढ़ा रही है।
अगर अभी भी नगर पंचायत सर्किट हाउस के समीप ग्राम सेवक क्वाटर की पुरानी फाइल पर जमी धूल को साफ कर जांच पड़ताल करे तो दूध का दूध और पानी का पानी हो सकता है। अब देखना यह है कि चंद्रपुर की इस बेशकीमती सरकारी जमीन पर बरसों से अतिक्रमण कर वहां व्यवसाय करने वाले को नगर पंचायत अभयदान देगी या कड़ी कार्रवाई कर उसे कानूनी पचड़े में फंसाएगी।



