ओड़िशा बॉर्डर से लगे ग्राम कोतरलिया और लोइंग-महापल्ली से लेकर झारमुड़ा, अड़बहाल, तिलगा, भगोरा, नवागांव, सपनई, बंगुरसिया, सम्बलपुरी, रेगड़ा, कोटमार, पतरापाली (ई) के लोग बैठक कर बना रहे विरोध की रणनीति
रायगढ़ (सृजन न्यूज)। पूर्वांचल की आबोहवा को जहरीला बनाने की कवायद में एक और उद्योग अपना विस्तार करने जा रही है। चूंकि, 19 नवंबर को मां मंगला इस्पात प्रायवेट लिमिटेड की जनसुनवाई मुकर्रर है। ऐसे में ओड़िशा बॉर्डर से लगे ग्राम कोतरलिया और लोइंग-महापल्ली से लेकर झारमुड़ा, अड़बहाल, तिलगा, भगोरा, नवागांव, सपनई, बंगुरसिया, सम्बलपुरी, रेगड़ा, कोटमार, पतरापाली (ई) समेत डेढ़ दर्जन गांव के लोग खिलाफत में उतर आए हैं। अधिकतर ग्रामीणों ने तय कर लिया है कि वे मां मंगला इस्पात के खिलाफ न केवल लामबंद रहेंगे, बल्कि जनसुनवाई के पहले लगातार बैठकें करते हुए विरोध की रणनीति भी बना रहे हैं।

मौजूदा हालात में औद्योगिक नगरी के रूप रायगढ़ नित-नये सोपानों को तय करता जिस गति से अग्रसर हो रहा है, उसी रफ्तार से यहाँ के वायु-मण्डल में प्रदूषण का जहर भी घुल रहा है। इसके बावजूद भी न केवल नए उद्योगों की स्थापना हो रही है, बल्कि स्थापित उद्योगों का बड़े पैमाने पर विस्तार भी हो रहा है। इसी कड़ी में मेसर्स ‘माँ मंगला इस्पात प्रायवेट लिमिटेड’ के वृहद विस्तार के लिए 19 नवम्बर 2025 को लोक सुनवाई निश्चित की गयी है।

जानकारी के अनुसार कंपनी में स्पंज आयरन की वर्तमान उत्पादन 60,000 टीपीए से 2,97,000 टीपीए, माइल्ड स्टील बिलेट्स 30,000 टीपीए से 2,20,000 टीपीए, रोल्ड स्टील प्रोडक्ट थ्रू हॉट चार्जिंग 2,12000 टी पीए, केप्टिव पॉवर ऑफ 9 एमडब्ल्यू टू 32 एमडब्ल्यू एन्ड 10 एमडब्ल्यू थ्रू एएफबीसी तथा फ्लाई ऐश ब्रिक्स 10,500 टीपीए से 35,000 टीपीए तक क्षमता विस्तार किया जायेगा। उक्त क्षमता विस्तार से क्षेत्र में प्रदूषण कई गुना बढ़ जायेगा और एक दर्जन से अधिक ग्राम जैसे झारमुड़ा, अड़बहल, तिलगा, भगोरा, नवागांव, सपनई, बंगुरसिया, सम्बलपुरी, रेगड़ा, कोटमार, पतरापाली (ई), कोतरलिया, महापल्ली, लोइंग आदि गाँव इसकी जद में आएंगे।

ज्ञात हो कि जिले में अनेकों बड़े उद्योग संचालित हैं जिनमें कई कम्पनियाँ पर्यावरण संरक्षण के प्रति बेहद लापरवाह हैं। पर्यावरण सुरक्षा मानकों का खुला उल्लंघन कर मनमानी करते हैं, वहीं जिम्मेदार विभाग भी अपनी जिम्मेदारियों से दूर कुम्भकर्णी नींद में मशगूल रहते हैं। यही वजह है कि क्षेत्र में खतरनाक प्रदूषण चरम पर है और स्थानीय वासी गंभीर बिमारियों से जूझने को मजबूर हैं।
बता दें कि जिले में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्थिति तक पहुँच गया है और लोग प्रदूषणकारी कंपनियों की मनमानी और जिम्मेदार विभाग की नाकामी से त्रस्त हो गए हैं। यही कारण है कि जिले की जनता सड़क पर उतर कर जमकर विरोध कर रही है। तमनार और धरमजयगढ़ क्षेत्र में तो अडानी व जिंदल जैसी बड़ी कंपनियों और प्रशासन को भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। जिले की ग्रामीण जनता अब जागरूक हो चुकी है और अब वह किसी भी कीमत पर अपना जल-जंगल और जमीन को खोना नहीं चाहती। यहाँ भी बैठकों का दौर शुरू हो चुका है, ग्रामीणों में विरोध और आक्रोश की चिंगारी सुलगने लगी है। रात होते ही गाँव के चौक-चौराहों में रखे अंगेठों में आग तापते लोगों के बीच जनसुनवाई की चर्चा जोर पकड़ने लगी है।