Home रायगढ़ न्यूज अनोखा शिक्षक, जो सेवानिवृत्ति के बाद भी गर्ल्स स्कूल में दे रहे निःशुल्क सेवा

अनोखा शिक्षक, जो सेवानिवृत्ति के बाद भी गर्ल्स स्कूल में दे रहे निःशुल्क सेवा

by SUNIL NAMDEO EDITOR


सारंगढ़/लक्ष्मीनारायण लहरे (सृजन न्यूज)। कोसीर मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर दूर ग्राम कुम्हारी स्थित है, जहां एक होनहार बालक का जन्म होता है और वह शिक्षक बनकर समाज के लिए युवा वर्ग के लिए प्रेरणा का पर्याय बन जाता है।
वैसे तो शिक्षा और शिक्षक का समाज में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। शिक्षक अपनी शिक्षकीय समय में विद्यार्थियों का पथ प्रदर्शक बनकर जीता है। अपनी शिक्षकीय कार्य से सेवानिवृत्त होता है, तब परिवार में समय बीतता है ।समाज में उन्हें उनके जीवन पर्यन्त गुरु को सम्मान मिलता है वह उसे अपना धरोहर मानता है। शिक्षक अपने नौकरी के 60 वर्षों में समाज की नींव गढ़ता है और समाज के लिए प्रेरणा बनकर जीता है। ऐसे ही एक अनोखे शिक्षक हैं जो सेवानिवृत्त होने के बाद भी स्कूल में जाकर विद्यार्थियों को अध्यापन करा रहे हैं।

                    व्याख्याता थानेश्वर चंद्रा पिछले माह 29 फरवरी 2024 को अपनी शिक्षकीय कार्य से सेवानिवृत्त हुए। इसके बाद भी लोकसभा चुनाव में अपनी योगदान देते हुए जो जिम्मेदारी मिली थी उसे पूरा किया। सेवानिवृत्त होने के बाद भीवे अध्यापन से जुड़े रहना चाहते हैं और कोसीर शासकीय कन्या हाई स्कूल में विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं।
सेवानिवृत्त शिक्षक थामेश्वर चंद्रा ने कहा कि अक्सर लोग नौकरी से मुक्त होने के बाद अपने घरेलू कार्य में व्यस्त हो जाते हैं या आराम करते हैं या फिर चौक-चौराहों में बेकार अपनी समय को गुजार देते हैं। सरकार उन्हें पेंशन देती है और समाज से टूट जाते हैं । उन्होंने आगे कहा कि मुझे सरकार 57 हजार पेंशन दे रही है।

           सेवामुक्त होने के बाद श्री चंद्रा कहते हैं कि मैं बहुत खुश हूं, लेकिन मेरे पास जो समय है उसे मैं अभी भी बेकार नहीं देना चाहता हूं और अपनी स्वेच्छा से कोसीर कन्या हाई स्कूल में निः शुल्क सेवा देकर विद्यार्थियों को पढ़ा रहा हूं। यह मेरे लिए गर्व की बात है कि मेरा समय विद्यार्थियों के काम आ सके। आज के युवाओं और विद्यार्थियों को शिक्षा के महत्व को समझना होगा, जीवन में शिक्षा जरूरी है।रिटायर्ड शिक्षक चंद्रा का जन्म 10 फरवरी 1962 में हुआ। उनके पिता स्व. साधुराम और माता हुलसी बाई थे।

                  हिंदी में एमए बिलासपुर से करने के बाद 1983 में वे सहायक शिक्षक रहे। 10 वर्ष तक सिलादेई में वहीं 1993 में कोसीर मूंगहापारा में 7 वर्ष, 2000 में माध्यमिक शाला कोसीर में 16 वर्ष, 2008 में उच्च वर्ग शिक्षक बने व्याख्याता बनने के बाद 5 वर्ष शासकीय बहु उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सारंगढ़ में हाई स्कूल दानसरा से सेवानिवृत्त हुए। जुलाई 2024 से कोसीर कन्या हाई स्कूल में अपनी निः शुल्क बिना कोई आर्थिक लाभ के अपनी सेवा दे रहे हैं।

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