

रायपुर (सृजन न्यूज़)। छत्तीसगढ़ विधानसभा का शीतकालीन सत्र 16 दिसंबर से प्रारंभ हुआ जिसमें विपक्षी विधायकों द्वारा विभिन्न मुद्दों पर प्रश्नोत्तरी, ध्यानाकर्षण एवं स्थगन के माध्यम से सरकार को घेरते हुए सरकार के मंशा पर प्रश्नचिन्ह खड़ा किया गया। इसी तारतम्य में खरसिया विधायक उमेश पटेल ने विपक्ष द्वारा लाया गया स्थगन प्रस्ताव के चर्चा के प्रथम वक्ता के रूप में अपना वक्तव्य में सरकार को घेरा एवं सराकार के मंशा पर प्रश्नचिन्ह लगाया।
अपने वक्तव्य में विधायक उमेश पटेल ने कहा कि मोदी की गारंटी के तहत प्रदेश सरकार द्वारा एकमुश्त 3100 रूपया प्रति क्विंटल देने का वादा किया गया था, परन्तु किसानों को केवल समर्थन मूल्य दिया जा रहा है। इसी तरह प्रति दिवस धान की कम खरीदी की जा रही है जिससे आगे चलकर किसानों को परेशानियों को सामना करना पड़ेगा और वे अपना पूरा धान नही बेंच पायेंगे। इससे साफ है कि सरकार की मंशा कम धान खरीदी करने की है। प्रदेश के विभिन्न खरीदी केन्द्रों से जानकारी प्राप्त हो रही है कि प्रति बोरी 40 किलो से अधिक धान लिया जा रहा है जिससे किसान आक्रोशित हैं।
तय मानक से बारदानों में भी कमी है जिससे धान खरीदी प्रभावित हो रही है। किसानों के साथ मिलरों में भी सरकार के प्रति नाराजगी है जिससे धान का उठाव नही हो रहा है जिसके कारण धान को संग्रहण केन्द्रों में भेजा जा रहा है जिससे आर्थिक नुकसानी हो रही है। खरीदी केन्द्रों से धान का उठाव नही होने से प्रदेश में कई धान खरीदी केन्द्रों में किसानों से धान नही लिया जा रहा है और कई खरीदी केन्द्र बंद होने के कगार पर है। इस प्रकार स्थगन प्रस्ताव में चर्चा के माध्यम से विधायक उमेश पटेल ने किसान हित में सरकार को घेरा।
तारांकित एवं अतरांकित प्रश्न के माध्यम से विभिन्न मुद्दों को उठाया
विधायक उमेश पटेल ने आज अपने तारांकित प्रश्न क्र. 197 के माध्यम से प्रदेश में रेत उत्खनन के संबंध में बनाए गए नीति के संबंध में सवाल उठाव और इस संबंध में विस्तृत जानकारी बताने के संबंध में भी पूछा। इस पर मुख्यमंत्री ने रेत खनन की नीति बताया। वहीं, विधायक उमेश पटेल ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा रेत उत्खन की नीति ठीक नहीं होने से प्रदेश में अवैध रेत उत्खनन बढ़ गया है और आम जनता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। सरकार द्वारा विधानसभा में घोषणा की गई थी कि प्रधानमंत्री आवास के हितग्राहियों को मुफ्त में रेत दिया जाएगा। इस घोषणा को भी सरकार द्वारा पूरा नहीं किया जा रहा है जिससे प्रधानमंत्री योजना के हितग्राहियों को रेत के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसी प्रकार अपने तारांकित प्रश्न क्र. 198 के माध्यम राजस्व मंत्री को प्रदेश में राजस्व प्रकरणों में लंबित प्रकरणों जैसे तहसील, एसडीएम कार्यालय, कलेक्टर एवं कमिश्नर कार्यालय में लंबित मामलों के संबंध में प्रश्न उठाया। विधायक उमेश पटेल ने पूछा कि उक्त कार्यालय में छोटे छोटे मामले नामांतरण, बंटवारा, खाता विभाजन, सीमांकन जैसे मामलों के लिए प्रदेश की जनता को कई महीनों का समय लग जाता है। इसके निराकरण के समय सीमा एवं लंबित मामलों की जानकारी चाही। राजस्व मंत्री ने समय सीमा बताने में असमर्थता जताई एवं लंबित मामलों की जानकारी को एकत्र कर बताने को कहा। इसी प्रकार अपने अतरांकित प्रश्न क्र. 199 के माध्यम से वन मंत्री जी से जानना चाहा कि रायगढ़ जिलांतर्गत 2022-23, 2023-24 एवं 2024-25 में हाथियों का कितना दल किन किन रेंजों में विचरण कर रहा है। विचरण के दौरान जनहानि को रोकने लिए विभाग द्वारा क्या क्या उपाय किए गए हैं। कितने आमजनों को क्या-क्या नुकसान हुआ है। कितने दुर्घटनाग्रस्त हुए। कितने की मृत्यु हो और उन्हें कितना मुआवजा प्रदान किया गया है। लोगों को हानि न हो इसके लिए विभाग द्वारा किए गए उपायों के संबंध में जानना चाहा। ऐसे में वन मंत्री ने हाथी के दल विचरण एवं उनके द्वारा किए नुकसान एवं मुआवजा के संबंध में बताया। इस पर विधायक उमेश पटेल ने कहा कि यह मुआवजा ऊंट के मुंह में जीरा के समान है, जिसमें नुकसान ज्यादा होता है और मुआवजा कम होता है। सरकार को चाहिए कि इसमें और अधिक मुआवजा बढ़ाए जिससे आमजनों को हुए नुकसान का सही मुआवजा मिल सके। इस प्रकार विधायक उमेश पटेल प्रदेश की जनता एवं अपने क्षेत्र की जनता के लिए चाहे वह धान खरीदी हो चाहे वह राजस्व मामला हो चाहे रेत उत्खनन हो चाहे हाथियों से हुए नुकसान का मुआवजा हो मुखर होकर विधानसभा में मुद्दाओं को उठा रहे है और सरकार को घेरने का प्रयास कर रहे हैं।

