पुजारी का दावा – रामगुड़ी में 121 साल से विराजे पवनपुत्र की मूर्ति को नहीं उठा पाते 100 लोग
रायगढ़। शहर की पुरानी बस्ती स्थित रामगुड़ी पारा में बजरंग बली का एक ऐसा मंदिर है, जो 121 वर्ष पुराना है। पुजारी के दावे पर यकीन करें तो नियमित भोग लगाने से हनुमान की प्रतिमा का वजन इस कदर बढ़ चुका है कि 10 तो क्या 100 लोगों को भी इसे उठाने में पसीने छूट जाते हैं।
रियासतकाल में वनमाली बेहार द्वारा 1903 में रामगुड़ी पारा के बीच में राम मंदिर का निर्माण कराया गया। इस दौरान राम मंदिर के ठीक सामने बजरंग बली का मंदिर भी बनवाया गया। समय गुजरने के साथ ही मर्यादा पुरूषोत्तम राम और उनके अनन्य सेवक हनुमान मंदिर अब 121 साल का हो गया है। यही वजह है कि रामनवमी में रामलला के जन्मोत्सव के बाद अब हनुमान के प्राकट्य दिवस को भी यादगार बनाने में भक्तों ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ा।
अंजनीपुत्र की सिद्ध मूर्ति है आस्था का प्रतीक
पंडित अशोक मिश्रा की माने तो राम दरबार की मूर्ति को ओडिशा के कलाकारों ने महानीम लकड़ी से उकेरा है, पर हनुमान प्रतिमा स्थानीय है और प्रतिदिन पूजा-अर्चना के बाद भोग लगाने से इसका वजन अप्रत्याशित रूप से दिनोदिन ऐसा बढ़ रहा है कि इसे 100 लोग भी नहीं उठा पाते। यही वजह है कि सिद्ध हनुमान की चमत्कारी मूर्ति के दर्शन लाभ करने से मनोवांछित फल मिलते हैं।
मंगलवार शाम होता है हनुमान चालीसा का पाठ
पंडित अशोक मिश्रा बताते हैं कि हनुमान जन्मोत्सव पर पवनपुत्र के मंदिर में विशेष पूजा और हवन के साथ प्रसाद वितरण हुआ। चूंकि, राम और हनुमान मंदिर पुरानी बस्ती की आन, बान और शान है इसलिए 5 मंगलवार से यहां हनुमान चालीसा का पाठ करने की नई परंपरा का श्रीगणेश किया गया है। इसमें जनक नंदिनी महिला समिति के साथ अन्य लोग भी शामिल होकर राम की महिमा का गुणगान करते हैं।
जीर्णोद्धार के लिए है फंड का टोंटा
121 बरस पुराना हनुमान मंदिर आज भी अपने मूल स्वरूप में है। कालांतर में इसके जीर्णोद्धार की कवायद भी की गई, लेकिन फंड की कमी से यह संभव नहीं हो सका। मन्दिर के ट्रस्टी किसी से चंदा नहीं लेते, इसलिए राम और हनुमान मंदिर की तस्वीर भले ही नहीं बदल पाई, मगर इसकी आस्था में कोई कमी नहीं आई बल्कि यह बढ़ ही रही है।