रायगढ़। रामनवमीं पर न सिर्फ कला और संस्कारधानी नगरी, बल्कि पूरा अंचल राममय हो गया। रामलला की जन्मोत्सव की खुशी पर शहर के नटवर स्कूल मैदान से निकली शोभायात्रा में 54 से अधिक समाज के लोगों ने झांकी निकालते हुए रामनवमीं को यादगार बना दिया। वहीं, बाईक रैली के अलावे राम भजन पर थिरकते युवा और हैरतअंगेज अखाड़ेबाजी को देखने जनसैलाब उमड़ा रहा। इस दौरान जिला और पुलिस प्रशासन की भी चाक चौकस व्यवस्था रही।
भगवान राम के जन्मोत्सव पर रायगढ़ में शोभायात्रा निकालने की अनूठी परंपरा ने सबका मन मोह लिया। बुधवार शाम 4 बजे शहर के नटवर स्कूल मैदान से निकली रामनवमीं शोभायात्रा ने खूब समां बांधा। स्टेशन चौक, श्याम टॉकीज चौक, एमजी रोड, रामनिवास टॉकीज चौक, गोपी टॉकीज मार्ग से गौरीशंकर मन्दिर चौक, महेश चौक, कोष्टा पारा, पैलेस रोड, चांदनी चौक, सोनार पारा, गांजा चौक, सदर बाजार रोड, हटरी चौक, थाना रोड, हंडी चौक से रामलीला मैदान पहुंचने पर शोभायात्रा का समापन हुआ। फिर, महाभण्डारे में सर्व समाज के लोगों ने शामिल होकर प्रसाद ग्रहण किया।
54 से अधिक समाज के लोग हुए शामिल
रामलला के जन्मोत्सव के अवसर पर रायगढ़ में निकली शोभायात्रा में अग्रवाल समाज, राजपूत महासभा, सिक्ख समाज, सर्व गुजराती समाज, उत्कल सेवा समिति, उत्कल समाज, सर्व नाई समाज, अघरिया समाज, गोस्वामी समाज, भट्ट समाज, कोलता समाज, माली समाज, सिंधी समाज, क्षत्रिय राठौर समाज, किन्नर समाज, साहू समाज, सोनी समाज, गोंड समाज, श्री विश्वकर्मा कल्याण समिति, केंवट समाज, कहरा समाज, केशरवानी समाज, नामदेव-पटवा समाज, अग्रहरि समाज, सारथी समाज, कन्नौजिया-यादव समाज, कुर्मी समाज, अखंड ब्राम्हण समाज, मारवाड़ी ब्राम्हण समाज, कान्यकुब्ज ब्राम्हण समाज, सरयूपारीय ब्राम्हण समाज, खटीक सोनकर समाज, मराठी समाज, यादव समाज, सतनामी समाज, भोजपुरी समाज, कलार समाज, देवांगन समाज, महंत-मानिकपुरी समाज, चंद्रनाहू चन्द्रा समाज, चौहान समाज, बंगाली समाज, सोनार समाज, उरांव समाज, बौद्ध समाज, कछवाहा समाज, झरिया धोबी-बरेठ समाज, बराई समाज, आंध्रा समाज, केरला समाज, कुम्हार समाज, वैष्णव समाज सहित अन्य समाज के भी प्रतिनिधियों ने तन, मन और धन से सहयोग देते हुए इस ऐतिहासिक कार्यक्रम को भव्यता प्रदान की।
झांकी और अखाड़ेबाजी ने जीता लोगों का दिल
बाहुबली हनुमान, बाहुबली शिवजी, शिव तांडव, गतका पार्टी में सरदारों को टोली ने हैरतअंगेज कारनामे कर लोगों को दांतों तले अंगुली दबाने मजबूर कर दिया। इसी तरह आदिवासी नृत्य, वर्धा ढोल पुणे, राम मंदिर झांकी, रामलला प्रतिमा और 32 मुखी महाकाली मैया व अघोरी के साथ सर्व हिन्दू विभिन्न समाज की झांकियों ने शोभायात्रा में चार चांद लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।