रायगढ़ (सृजन न्यूज़)। 40वें चक्रधर समारोह के समापन अवसर पर प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना पद्मश्री सुश्री नलिनी-कमलिनी की जोड़ी अपनी नृत्य-प्रस्तुति से ऐसा समा बांधा कि दर्शक देर तक अभिभूत रहे।इन दोनों बहनों ने कथक नृत्य की हर गति, भाव और अभिव्यक्ति में ऐसी पूर्णता और सौंदर्य की झलक दिखाई, जो उनके वर्षों के साधना और समर्पण को दर्शाता है। चक्रधर समारोह के इस भव्य समापन में वाराणसी के सुप्रसिद्ध कथक गुरु पं. जितेन्द्र महाराज की इन दोनों शिष्याएं की प्रस्तुति न केवल एक नृत्य प्रदर्शन थी, बल्कि भारतीय कला, संस्कृति और आध्यात्मिक चेतना का सजीव दर्शन भी थी।
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपनी कला का लोहा मनवा चुकीं नलिनी-कमलिनी बहनों ने ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस, स्पेन, नार्वे, पश्चिमी जर्मनी तथा मध्य-पूर्व देशों में अनेक महोत्सवों में भारत की सांस्कृतिक गरिमा का प्रदर्शन किया है। ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज, लीडेन, मैनचेस्टर जैसे विश्वविख्यात विश्वविद्यालयों में इन्होंने अपने व्याख्यान-प्रदर्शन से भारतीय संस्कृति की चेतना का प्रचार-प्रसार किया है।

दिल्ली दूरदर्शन की टॉप ग्रेड कलाकारों में शामिल इस युगल को उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी, भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय तथा कई अन्य संस्थानों से सम्मानित किया जा चुका है। इन्होंने इनर लंदन एजुकेशनल अथॉरिटी के लिए एक शैक्षिक वृत्तचित्र भी तैयार किया है। इन बहनों ने सूरदास, तुलसीदास, कबीर, रहीम, बुल्लेशाह और अमीर खुसरो जैसे संत-कवियों की रचनाओं को कथक की भाषा दी है, जिससे उन कृतियों को एक नया, सजीव आयाम मिला है।
