रायगढ़ (सृजन न्यूज)। आजादी के बाद से देश में लागू ब्रिटिश का अंग्रेजी कानून दंड देता रहा। लेकिन, आज से लागू भारतीय न्याय संहिता अब देशवासियों को न्याय देगी। दंड की बजाय कानून न्याय करे, इसे भारतीय न्याय संहिता की सबसे बड़ी खूबसूरती बताते हुए वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि दंड संहिता की जगह एक जुलाई से देश में भारतीय न्याय संहिता लागू हो जाएगी।
भारतीय न्याय संहिता को मील का पत्थर बताते हुए सूबे के वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने इस संहिता की खूबियां आम जनमानस के सामने रखते हुए कहा कि इस संहिता से भारत का कानून अब दंड नहीं, बल्कि ‘न्याय’ देगा। आज से देश भर में लागू हो रही भारत न्याय संहिता (बीएनएस) के अमल में आने के बाद प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री श्री चौधरी ने कहा भारतीय न्याय संहिता के तहत पहली प्राथमिकता महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराध की है। आजादी के 75 बरस पुराने कानून से जुड़े बहुत से पहलुओं पर विचार करने के बाद इंडियन पैनल कोड, आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता बीएनएस लागू किया जा रहा है। देश के नागरिकों की परेशानियों के मद्देनजर बीएनएस में बहुत से ऐसे प्रावधान किए गए जिससे बड़े समूहों को लाभ होगा। भारतीय न्याय संहिता में महिला पीड़िता का बयान उसके घर पर परिजनों की मौजूदगी में महिला अधिकारियों की उपस्थिति मे लेने का प्रावधान किया गया है। ऑनलाइन एफआईआर की व्यवस्था का महिलाओं को लाभ मिलेगा। भारतीय न्याय संहिता में मॉब लिंचिंग को विस्तार से परिभाषित किया गया है।
भारतीय न्याय संहिता से आधुनिक न्याय प्रणाली विकसित होने का दावा करते हुए वित्त मंत्री चौधरी ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता विश्व की सबसे आधुनिक न्याय प्रणाली बनेगी। आजादी के 75 साल के बाद आज से जब यह कानून लागू होगा तो सबसे बड़ी बात यह कि आम लोगो को दंड की बजाय न्याय मिलेगा। अब तक देश में न्याय मिलने में होने वाले अनावश्यक विलंब को देशवासी दंड समझते हैं। तारीख पर तारीख से मुक्ति से मिलेगी। मौजूदा दंड संहिता में होने वाले अनावश्यक विलंब से मुक्ति मिलेगी और तेजी से न्याय मिलेगा। भारतीय न्याय संहिता भारतीय कानून की आत्मा होगी। अंग्रेजों ने अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए राजद्रोह कानून बनाया, जिसे बदलकर देशद्रोह कानून लागू किया गया। भारतीय न्याय संहिता विश्व की सबसे अत्याधुनिक न्याय प्रणाली होगी।
उन्होंने यह भी कहा कि देश के गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय न्याय संहिता के लिए सभी सासंदों, मुख्यमंत्रियों, जजों से सुझाव भी मांगे थे। तीन महीने गृह विभाग की समिति ने सभी सासंदों से सुझाव लिए। 93 बदलाव के बाद बिल को पारित किया गया है। भारतीय न्याय संहिता को राजनैतिक चश्मे से देखने की बजाय इसे दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देखे जाने की जरूरत बताते हुए वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि कानून में यह सुधार भारत वासियों को दंड की बजाय न्याय देगा, यही इसकी सबसे बड़ी खूबसूरती है।