जंगल कटने से तमनार क्षेत्र के करीब डेढ़ दर्जन गांवों में संभावित तबाही के मद्देनजर ग्रामीण कर रहे बैठकें
रायगढ़ (सृजन न्यूज)। औद्योगिक प्रदूषण की मार से कराह रहे रायगढ़ जिले के तमनार क्षेत्र में जेपीएल के नए कोल ब्लॉक की जनसुनवाई 14 अक्टूबर को मुकर्रर है। ऐसे में जंगल उजड़ने से बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर तमनार क्षेत्र के धौराभांठा सहित करीब डेढ़ दर्जन गांवों में संभावित तबाही से सिहरे लोगों के जेहन में जेपीएल के प्रति आक्रोश की चिंगारी भी सुलगने लगी है। यही वजह है कि मुआवजा और वर्तमान पुनर्वास नीति सहित अन्य सुविधाओं की जानकारी देने की मांग करने वाले ग्रामीण मुखालफत के तौर पर बैठकें भी कर रहे हैं।
मुड़ागांव में कोयला खदान के लिए अडानी द्वारा बड़ी मात्रा में काटे गये जंगल को लेकर हुए भारी विरोध के बाद अब जेपीएल के नये कोल ब्लॉक की जनसुनवाई की तारीख घोषित हो गयी है। आगामी 14 अक्टूबर को जिंदल पॉवर लिमिटेड के गारे-पेलमा सेक्टर-1 कोल ब्लॉक के लिए धौंरा भाठा में जनसुनवाई निश्चित की गयी है। इस जनसुनवाई को लेकर क्षेत्रवासियों में विरोध की चिंगारी फिर सुलगने लगी है। उल्लेखनीय है कि जेपीएल के इस कोयला खदान में सालाना उत्पादन 15 मिलियन होगा। अंडरग्राउंड और ओपन कास्ट दोनों खदान खोले जायेंगे। इस कोल ब्लॉक के लिए 3020 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की जाने वाली है, जिसमें लगभग 120 हेक्टेयर भूमि वन भूमि है। जेपीएल के इस कोल ब्लॉक से धौंरा भाठा, टांगरघाट, समकेरा, झरना, बुडिय़ा, रायपारा, बागबाड़ी, तिलाईपारा, आमगांव, महलोई, बिजना, झिंकाबहाल, लिबरा और खुरुसलेंगा गाँव प्रभावित होंगे।

बता दें कि 27 अगस्त को तहसीलदार तमनार ने इस कोल ब्लॉक के लिए संबंधित ग्राम पंचायतों में 15 दिनों के अंदर ग्राम सभा आयोजित करने का आदेश दिया था। प्रभावित गांवों के निवासियों ने जिंदल को आवंटित कोल ब्लॉक के प्रस्ताव पर गंभीर चिंता जताई है। एसडीएम को दिए पत्र में उन्होंने एनओसी देने से पहले भूमि अधिग्रहण, मुआवजा, रोजगार और पर्यावरणीय प्रभावों पर विस्तृत जानकारी की मांग की है। इतना ही नहीं, प्रभावित क्षेत्र की सीमाओं का भी विस्तृत विवरण माँगा है और स्पष्ट जवाब मिलने तक ग्राम सभा आयोजित करने से इंकार भी किया है, क्योंकि बिना पर्याप्त जानकारी के प्रक्रिया को जल्दबाजी में पूरा करने से स्थानीय निवासियों को ही मुश्किल होगी। खनन से जुड़े जोखिमों की जानकारी, मुआवजे की दरों और प्रक्रिया, विस्थापितों के लिए वर्तमान पुनर्वास नीति की जानकारी, प्रमाणित किसानों और उनके परिवारों के साथ भूमिहीन परिवारों के लिए रोजगार के अवसर, महिलाओं के लिए सुविधाएं, अधिग्रहण का तरीका, मुआवजा राशि का भुगतान सरकार द्वारा किया जाएगा या कंपनी द्वारा, पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के उपायों आदि की जानकारी मांगी गई है।

बहरहाल, क्षेत्र में विगत माह अडानी के क्रिया-कलापों से खार खायी स्थानीय जनता ने फिलहाल पूरी तरह से कमर कस लिया है और अब वह घाटे का सौदा किसी भी कीमत पर नहीं करना चाहती। ऐसे में प्रभावितों की माँग नहीं मानी गयी तो जेपीएल के मनसूबे पर पानी फिरने के अवसर बढ़ सकते हैं।
