इप्टा रायगढ़ ने नाट्य मंचन न होने का जताया विरोध
रायगढ़ (सृजन न्यूज)। अंतराष्ट्रीय पटल पर रायगढ़ को साहित्य और कला की नगरी के रूप में दो समारोह के लिए जाना जाता है, पहला "चक्रधर समारोह"
और दूसरा "इप्टा का राष्ट्रीय नाट्य समारोह" जिसमें देश के नामचीन नाट्य मंडलियों के साथ साथ नेपाल की टीम ने भी अपनी प्रस्तुति दी हैं।
ज्ञात हो कि चक्रधर समारोह की शुरुआत रायगढ़ के कला साधकों बुद्धिजीवियों और सामाजिक संगठनों ने 1984 में मिलकर इसकी शुरुआत की थी, तब से रायगढ़ में अग्रणी नाट्य संस्था भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) के द्वारा प्रतिवर्ष नाट्य का मंचन समारोह में किया जाता रहा है। छत्तीसगढ़ के राज्य गठन के वर्ष में देश विदेश के ख्याति लब्ध नाटक कार हबीब तनवीर ने पूरे सप्ताह रायगढ़ इप्टा के मंच से रंग हबीब को मंचित किया। मंच इप्टा के द्वारा उस समय भी मंचन किया गया, जब समारोह में किसी तरह का पारिश्रमिक नही दिया जाता था और आयोजन लोकल रायगढ़ के जनसहयोग से आयोजित होता था, तबसे लेकर पिछले साल तक निरंतर इप्टा का नाट्य प्रदर्शन होता रहा है और शहर के नाट्य प्रेमी दर्शक नाटक को सराहते भी रहे हैं।
समारोह में पहले पूरा एक दिन नाटकों के लिए अनुबंधित था, लेकिन जब से इस आयोजन में सरकारी पैसा आने लगा, तब से धीरे-धीरे कुछ ऐसे लोग जिन्हें कभी उस मंच पर बुलाया भी नहीं जाता था वे लोग हमारा समारोह हमारा परिवार का समारोह कहकर धीरे-धीरे कब्जा करने लगे। परिणाम स्वरूप इस आयोजन से रायगढ़ के बुद्धिजीवी वर्ग और सामाजिक संगठनों ने दूरी बना ली और यह समारोह अंतर्राष्ट्रीय स्तर से वापस लोकल स्तर का कार्यक्रम का होने लगा है। अब जब आयोजन पूर्ण रूप से सरकारी आयोजन में बदल गया है और सरकार के बजट में सांस्कृतिक आयोजन से लिए अलग से बजट निर्धारण किया जाने लगा तो इस समारोह में लालची अनुभवहीन और भारतीय कला और संस्कृति के प्रति निष्ठुर लोगों ने कब्जा कर लिया है, जिन्हे कला के प्रति ना किसी प्रकार का लगाव है और ना ही उसकी समझ है, चयन समिति में आसीन होने लगे।
पहले शहर के कलाज्ञानी और बुद्धिजीवी लोगों को कलेक्टर के द्वारा नामांकित किया जाता था, जिसे अब वहीं अब सत्ता धारी पार्टी के जरिए उसे सीमित कर तथाकथित रूप से एक परिवार के सदस्य और कुछ लोभी टाइप के कर्मचारी और एक दो चापलूस किस्म के तथाकथित बुद्धिजीवी लोगों की टीम को चयन समिति बना दिया गया है जो अपने आसपास के चापलूसी करने वालों की संस्थाओं और फिल्मी कलाकारों का चयन कर आयोजन के प्रतिष्ठा पर कलंक लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इप्टा रायगढ़ इस साल ” चक्रधर समारोह” में किसी भी संस्था का नाट्य प्रदर्शन नहीं रखने को चक्रधर समारोह की हत्या की संज्ञा देता है और इसका पुरजोर विरोध भी करता है। अगर हो सके तो कोई शमा जलाइये, इस दौरे सियासत का अंधेरा मिटाइए।

