Home रायगढ़ न्यूज संस्कार स्कूल की अनूठी पहल, टीचर्स को दी फ्री एक्टिवा

संस्कार स्कूल की अनूठी पहल, टीचर्स को दी फ्री एक्टिवा

by SUNIL NAMDEO EDITOR

रायगढ़ (सृजन न्यूज)। जिले की प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्था संस्कार पब्लिक स्कूल अपने सामाजिक सरोकार एवं व्यक्तित्व विकास कार्यक्रम के लिए प्रसिद्ध है। पिछले 10 वर्षों की तरह इस बार भी संस्कार स्कूल के द्वारा के अंतर्गत स्कूल के श्रेष्ठ शिक्षकों में से एक का चयन कर प्रोत्साहन हेतु नि:शुल्क एक्टिवा वाहन प्रदान किया जा रहा है।

                स्कूल के मार्गदर्शक रामचन्द्र शर्मा ने बताया कि बेहतर प्रबंधन एवं शिक्षकों के मन में उत्साह लाने के लिए उत्कृष्ट शिक्षक को एक्टिवा प्रदान करने का फैसला किया गया। संस्था के प्राचार्या श्रीमती रश्मि शर्मा ने कहा कि इसके तहत यह बात भी साबित होती है कि स्कूल का उद्देश्य केवल व्यवसायिक नहीं है। अनेक स्कूलों के द्वारा विद्यार्थियों के प्रोत्साहन हेतु विभिन्न पुरस्कार दिए जाते हैं लेकिन संस्कार पब्लिक स्कूल ने एक कदम आगे बढ़ते हुए शिक्षकों के आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए अनूठी पहल करते हुए शिक्षक प्रोत्साहन योजना आरंभ की है। इसके तहत शिक्षक का चयन किया गया। इसमें चयनित शिक्षक दीपिका बेहरा को संस्था के मार्गदर्शक रामचन्द्र शर्मा एक्टिंग डायरेक्टर सीपी देवांगन एवं प्राचार्या रश्मि शर्मा के हाथों एक्टिवा की चाबी प्रदान कर वाहन सौंपा गया।

10 सालों से चली आ रही परंपरा संस्कार पब्लिक स्कूल के मार्गदर्शक रामचन्द्र शर्मा ने बताया कि कोरोना के पूर्व एवं बाद में भी स्कूल प्रबंधन के द्वारा शिक्षक प्रोत्साहन योजना के तहत दस शिक्षकों को उनके समर्पण एवं कार्य के आधार पर एक्टिवा वाहन एवं अन्य ईनाम प्रदान किया जा चुका है। इस वर्ष भी शिक्षक के समर्पण एवं गुणवत्ता का आंकलन कर शिक्षक प्रोत्साहन योजना के तहत मोटर बाईक या एक्टिवा प्रदान की गई। इसे लेकर शिक्षकों में खासा उत्साह दिखा।

क्या कहते हैं रामचन्द्र शर्मा
संस्था के सूत्रधार रामचन्द्र शर्मा बताते हैं कि विद्यार्थियों का प्रोत्साहन पूंज शिक्षक हैं। शिक्षकों का सम्मान एवं आत्मविश्वास बढ़ाना ज्यादा जरूरी हैं इसलिए संस्कार पब्लिक स्कूल विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास के साथ-साथ शिक्षकों को आत्मविश्वास दिलाने एवं समाज में सकारात्मक भूमिका निभाने के लिए एक्टिवा प्रदान कर प्रोत्साहित किया जाता है। यह ईनाम नहीं शिक्षक के समर्पण का सम्मान है।

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