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एक पेड़ मां के नाम,
ये तो बस बहाना है,
असल में तो मां का,
कर्ज हमें उतारना है |
बरसों से जिससे सिर्फ लिया है,
देने का सोचा ही नहीं,
देना भी धर्म है,
यह जागरुकता लाना है,
एक पेड़ मां के नाम,
हर इंसा को लगाना है |
बच्चों को अपने दे – देकर,
मां का आंचल सूना हो गया,
टाँक सके सितारे हरियाली के,
ऐसा जुनून जगाना है ,
एक पेड़ माँ के नाम,
आज हर इंसान को लगाना है |
एक- एक वृक्ष के लगने से,
मां का आँचल भर जाएगा,
हमारा छोटा सा ये प्रयास,
मां का ताप हर पाएगा,
बस यही आज हमें,
हर हाल में कर गुजरना है,
एक पेड़ मां के नाम,
आज हर इंसान को लगाना है।
रश्मि वर्मा
रायगढ़ (छत्तीसगढ़)