रायगढ़ (सृजन न्यूज)। करबला के मैदान में शहीद हुए ईमाम हुसैन की याद में मनाए जाने वाला मातमी पर्व मुहर्रम रायगढ़ में भी पूरी अकीदत के साथ मनाई गई। शहर के कई जगहों से निकले ताजिए का लोगों ने न केवल दीदार किया, बल्कि युवाओं ने हैरतअंगेज अखाड़ेबाजी कर खूब समां बांधा। इस दौरान पुलिस की तगड़ी व्यवस्था रही।
जानकारों की माने तो रायगढ़ में ताजिए का भी समृद्धशाली इतिहास है। रियासतकालीन जमाने से चांदनी चौक के ईमाम बाड़े में नक्काशीदार ताजिए का निर्माण होता है। चांदनी चौक की तरह ही शहर के मधुवन, तुर्का पारा, मौदहा पारा, बीड़ पारा, इंदिरा नगर सहित कई जगह ताजिया बनाने की रिवायत है।
ईमाम बाड़ा में तैयार होने के बाद मोहर्रम की सुबह ताजिए को आम लोगों के दीदार के लिए बाहर निकाला गया। रंगबिरंगी विद्युत रोशनियों से नहाए ताजिए की एक झलक पाने के लिए लोग बेहद उत्सुक नजर आए। दिन ढलते ही नगर भ्रमण के लिए निकले ताजिए में सिरनी चढ़ाने और अखाड़ेबाजी का ऐसा दौर चला, जिसे देख लोग दांतों तले अंगुली चबाने विवश हो गए।
शाम से देर रात तक चांदनी चौक में युवाओं को धारदार हथियार से नित नए कारनामे करते देख मजमा लगा रहा। मुहर्रम में निकली जुलूस के दौरान संभावित अप्रिय स्थिति के मद्देनजर जिला और पुलिस प्रशासन की चुस्त दुरुस्त इंतजामात रहा। शहर के करबला तालाब में ताजिया विसर्जन की प्रक्रिया भी हुई।