रथारूढ़ भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के दर्शन के लिए उमड़े लोग
रायगढ़ (सृजन न्यूज)। कला और संस्कार धानी नगरी में रियासतकालीन रथयात्रा का विहंगम दृश्य रथयात्रा पर दिखा। मन्दिर से रथों में विराजे जगन्नाथ स्वामी, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के दर्शन के लिए जनसैलाब उमड़ा रहा। हरि बोल के जयघोष के साथ महाप्रभु अपनी गुंडिचा मौसी के घर पहुंच गए।
सीमावर्ती प्रांत ओड़िशा के पुरी की तर्ज पर रायगढ़ में रथोत्सव का वैभवशाली इतिहास है। रियासतकालीन रथोत्सव भले ही कालांतर में भव्यता का रूप ले चुका है, मगर उड़िया संस्कृति से सराबोर इस त्यौहार की चमक आज भी उजली है। यही वजह है कि अब बढ़ती भीड़ और यहां की भव्यता देखने लायक रहती है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीया की शाम वैदिक मंत्रोच्चारण और राज परिवार द्वारा पहुंडी और छेरा पहरा की धार्मिक परंपरा के साथ ही भगवान जगन्नाथ को बलभद्र भाई तथा सुभद्रा बहन के साथ रथ में आरूढ़ कराया गया।
वहीं, दूसरे दिन यानी आषाढ़ शुक्ल पक्ष तृतीया की शाम रथ में पूरे श्रृंगार के साथ आरूढ़ त्रिदेव की एक झलक पाने भक्तों में आपाधापी मची रही। राजा पारा में मोतीमहल के समीप मैदान से उत्कल सांस्कृतिक समिति के रथ में बंधी रस्सी को भक्त जब हरि बोल के जयघोष के साथ खींचते तो वातावरण महाप्रभुमय हो जाता। वहीं, सर्वधर्म समभाव का संदेश देने वाले चांदनी चौक युवा समिति के रथ को गुंडिचा मौसी के घर ले जाने के लिए लोग उत्सुक रहे। इसी तरह सोनार पारा के प्रगति कला मन्दिर के रथ में विराजित त्रिदेव की अलौकिक छटा भी निराली रही।
ओड़िशा के घंट पार्टी ने मन मोहा
चूंकि रथयात्रा ओड़िशा का सबसे बड़ा पर्व है। ऐसे में ओड़िशा से रायगढ़ आई घंट पार्टी ने अपनी मनमोहक प्रस्तुति से लोगों का दिल जीतने के साथ खूब वाहवाही भी बटोरी। रथयात्रा में आर्केष्ट्रा, करमा नृत्य और रंगबिरंगी सजावट ने रथोत्सव को चार चांद लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।