पीड़ित मां के संकल्प और खुद की साधना से जारी है कला यात्रा
रायगढ़ (सृजन न्यूज)। चक्रधर समारोह की तृतीय संध्या रायगढ़ जिलर के पुसौर विकास खण्ड अन्तर्गत ग्राम कठानी की बेटी धरित्री सिंह चौहान को अपनी कथक प्रस्तुति का अवसर मिला। कक्षा 12 वीं में अध्ययनरत धरित्री सिंह को नृत्य की प्रेरणा और संगीत के प्रति रुझान ईश्वरीय चमत्कार से कम नहीं है। धरित्री जब मां के गर्भ में पल रही थी, तभी पिता सुरेन्द्र कुमार चौहान की एक दुर्घटना में मौत हो जाने के बाद माँ रीना कोख में पल रही थीं। अजन्मी संतान को संसार में सुरक्षित लाने का संकल्प लेकर जन्म के बाद धरित्री की परवरिश और शिक्षा संस्कार के साथ उसकी अभिरुचि के अनुरूप कथक नृत्य के प्रति प्रेरित प्रोत्साहित कर अपनी मातृधर्म का पूर्णतः निर्वहन कर रही है। यहीं कारण है कि सत्रह साल की धरित्री आज न केवल भारत, बल्कि विदेशों के मंच पर भी कथक नृत्य विधा में अपनी साधना की खुशबू विखेर कर परिवार को गौरवान्वित कर रही हैं।
रायगढ़ के 39 वें चक्रधर समारोह के मंच पर प्रस्तुति के प्रश्चात कथक की नवोदित फनकारा धरित्री ने मिडिया से चर्चा करते हुए अपनी भावनाएं व्यक्त की , प्रस्तुत है धरित्री चौहान के साथ भोजराम पटेल द्वारा ली गई भेटवार्ता के अंश :
०धरित्री, आपका कथक नृत्य के प्रति रुझान कैसे हुआ जबकि परिवार में ऐसा सांगीतिक माहौल नहीं है ?
- संगीत के प्रति मेरी रुझान बचपन से रहा इसे ईश्वरीय चमत्कार भी कह सकते हैं। वैसे मेरे दादा ग्राम बनसिया निवासी साहेब राम चौहान एक मानस मंडली के अच्छे गायक एवं हारमोनियम वादक थे। जब मैं बचपन में शास्त्रीय नृत्य या कार्यक्रम देखती तो मेरे हाथ पैर थिरकने लगते और मै नृत्य में अपनी भाव भंगिमा प्रस्तुत करने लगती थी। इसी से मेरी मां ने मुझे कथक नृत्य के लिए प्रोत्साहन देकर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।
– ० आपके संगीत साधना में परिवार का क्या योगदान है ? - मैं आज जो कुछ भी हूं, मेरी माता रीना सिंह और नाना गोपीचंद सिंह (सेवानिवृत्त शिक्षक) का प्रोत्साहन एवं गुरु शरद वैष्णव तथा पद्मश्री रामलाल बरेठ व भूपेन्द्र बरेठ का मार्गदर्शन है। एक दुर्घटना में पिता की मृत्यु हो जाने के बाद मैं अपने नाना के घर ग्राम कठानी में रही। वहीं पली बढ़ी हूं। वर्तमान में पुसौर के गुरुकुल स्कूल में 12 वीं बायोलाजी की छात्रा हूं। मेरे प्राचार्य अजय शर्मा एवं शिक्षकों का भी पूरा आशीर्वाद और प्रोत्साहन मिलता है जिससे मैं विषय अध्ययन और कथक की साधना दोनों के साथ सामंजस्य कर पाती हूँ ।
- चक्रधर समारोह में नवोदित और स्थानीय कलाकारों को प्रोत्साहन सरंक्षण हेतु आप क्या सुझाव देना चाहेगी ?
-समारोह में स्थानीय कला साधकों को मंच मिलता है। प्रस्तुति का अवसर और प्रोत्साहन मिलता है। यह अत्यंत खुशी की बात है परंतु बड़े और सेलीब्रेड कलाकारों की तुलना में इनको नाममात्र का ही पारितोषिक मिलता है, जबकि हमें आर्थिक और शासन से संरक्षण की भी आवश्यकता है। संगतकारों की पुरी व्यवस्था हमको अपने से ही वहन करना होता है। इस परिस्थिति में एक कलाकार स्वयं को स्थापित करने में सफल कैसे होगा ? छत्तीसगढ़ शासन और आयोजकों से निवेदन है कि हमारी भावना को समझें, क्योंकि राजा चक्रधर सिंह तो कलाकारों के संरक्षक थे।
० संगीत के क्षेत्र में रूचि रखने वाले नवोदित कलाकारों को आप क्या संदेश देना चाहेंगे ?
-संगीत, नृत्य विधा में रुचि रखने वालों को मेरा कहना है कि इस क्षेत्र में निरंतर अभ्यास और साधना के साथ धैर्य की आवश्यकता होती है इसलिए योग्य गुरू के निर्देशन में अपनी कला यात्रा को गति दें तो मान, सम्मान और नाम सब मिलेगा। इससे मानसिक शांति और आत्मसंतुष्टि मिलती है, यही सच्चा पुरस्कार है ।
धरित्री का एक परिचय :
24 फरवरी 2007 ग्राम कठानी (पुसौर) रायगढ़ में जन्मी धरित्री सिंह चौहान के पिता स्व. सुरेंद्र कुमार चौहान एवं माता श्रीमती रीना सिंह हैं। धरित्री के बाल्यकाल में ही पिता की मृत्यु हो जाने से विषम परिस्थिति में आपकी माता की विशेष रुचि ने धरित्री को कथक शिक्षा हेतु प्रेरित किया। स्थानीय अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संस्था श्री वैष्णव संगीत महाविद्यालय में गुरु शरद वैष्णव के सानिध्य में 12 वर्षों की कठिन तालीम दिलाई वर्तमान में धरित्री प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद से सीनियर डिप्लोमा उत्तीर्ण हैं।
o राष्ट्रीय – अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मिला अनेक सम्मान :
सांगीतिक यात्रा में धारित्री ने बाल्यकाल से ही अनेक महत्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त की है जिनमें चार राष्ट्रीय गोल्ड मेडल व एक एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मान (हीरक) डायमंड प्रमुख उल्लेखनीय है। प्रमुख प्रस्तुति एवं सम्मान में में पूरी कल्चर संघ द्वारा ” नृत्य मायापुरी व श्री उर्वशी सम्मान” भुवनेश्वर कल्चर डेवलपमेंट फाउंडेशन द्वारा “एक्सीलेंट” अवार्ड से सम्मानित, नृत्य महोत्सव जबलपुर द्वारा “नृत्य साधक सम्मान” सृजन भारती कल्चर एंड एजुकेशन ट्रस्ट द्वारा ” नृत्य कलाश्री एवं “नृत्य प्रतिभा ” से सम्मानित अंतर्राष्ट्रीय ताज रंग महोत्सव आगरा में “ताजरत्न” अवार्ड बाल कला उत्सव सुनैना संघ दिल्ली द्वारा “स्पेशल अवार्ड ” नेपाल (काठमांडू) द्वारा अंतर्राष्ट्रीय नृत्य कलाश्री ” एक्सीलेंस अवार्ड” अंतर्राष्ट्रीय मंच बैंकाक ( थाईलैंड) द्वारा “पद्म पानी बुद्ध प्रिय कलाकार” सम्मान से सम्मानित और भी प्रमुख प्रस्तुतियों में यूथ फेस्टिवल, संस्कार भारती नाट्य केंद्र आगरा ,थियेटर मूवमेंट कटक, अखिल लोक कला सांस्कृतिक संघ पुणे ,भारत सांस्कृतिक महोत्सव कोलकाता, आदि आपको सावित्री देवी फूले महिला समिति द्वारा “नारी गौरव अवार्ड” से सम्मानित किया गया है । साथ ही विगत 12 वर्षों से निरंतर प्रस्तुति क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं व सम्मानित मंचों पर नृत्य प्रस्तुति दी है। बैंकाक (थाईलैंड) में ” हीरक अवार्ड” से सम्मानित किया गया है। अभी जून में रायपुर में नृत्य धरोहर महोत्सव में “नृत्य विभूषण” अवार्ड से सम्मानित किया गया। नाद मंजरी कला उत्सव में “” कला अंभीरा” पुरस्कार से सम्मानित, मथुरा वृंदावन में ,कृष्ण रंग महोत्सव में ” कृष्णा मणि” अवार्ड से नवाजा गया। वर्तमान में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय छात्रवृति दिया जा रहा है ।
० चक्रधर समारोह में प्रस्तुति का तृतीय अवसर
इससे पहले वर्ष 2019 एवं 2023 में भी चक्रधर समारोह में प्रस्तुति दे चुकी धरित्री चक्रधर समारोह 2024 की तृतीय संध्या में अपने गुरुश्री भूपेंद्र बरेठ के निर्देशन में प्रस्तुतियां देकर दर्शकों को भाव विभोर कर दिया। इनके साथ संगतकार तबले पर गुरु श्री भूपेंद्र रामलाल बरेठ पढंत पर आयुषी दुबे तबले पर देवेंद्र श्रीवास,सितार पर रमाकांत त्रिपाठी, हरमोनियम गायन पर श्री साहिल सिंह ठाकुर ने बखूबी अपनी संगत देकर प्रस्तुति में चार चांद लगा दिया। धरित्री की प्रस्तुति में भजन – श्रीराम चंद्र कृपालु भजूमन .., उठान, आमद, परन,तिहाई, रायगढ़ घराने की विशेष बंदिशे ,भवांग अष्टनैयिका और जुगलबंदी शामिल थे।