रायगढ़ (सृजन न्यूज)। जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अनिल शुक्ला ने बीजेपी के घर-घर तिरंगा के अभियान पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि तिरंगा पूरे देश के लिए गर्व का प्रतीक है ये बात भाजपा वालों को काफी अरसे बाद समझ मे आई। खैर, जब जागे तभी सवेरा होता है पर छत्तीसगढ़ बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष किरण देव इस अभियान की घोषणा से पहले ये भी बता देते तो बड़ी मेहरबानी होती कि आजादी के बाद 52 सालों तक संघ के मुख्यालय नागपुर में तिरंगा क्यों नहीं फहराया गया था। आजादी के बाद दशकों तक भाजपा के पितृ संगठन आरएसएस ने क्यों राष्ट्र ध्वज को स्वीकार नहीं किया था।
अनिल शुक्ला ने आगे कहा, सर्वविदित है कि कांग्रेस ने ही 1929 में लाहौर अधिवेशन के समय रावी नदी के किनारे तिरंगा फहराया और पूर्ण स्वराज का नारा दिया था। उसके बाद से हर साल 26 जनवरी को तिरंगा फहराया जाने लगा। देश की आन, बान और शान के प्रतीक रहे तिरंगे ध्वज को भाजपा के पितृपुरुष गोलवरकर ने देश के लिए अपशकुन बताया था। वहीं तिरंगे के प्रति सम्मान का आडम्बर कर रही भाजपा आदर्श गोलवरकर ने अपनी पुस्तक “बंच ऑफ थॉट्स’ में तिरंगा को राष्ट्रीय ध्वज मानने से ही मना कर दिया था। इस पुस्तक में उन्होंने लोकतंत्र और समाजवाद को गलत बताते हुए संविधान को एक जहरीला बीज बताया था।
यही नहीं, 14 अगस्त 1947 को आरएसएस के मुखपत्र ‘द ऑर्गनाइजर” में लिखा था तीन शब्द ही अशुभ है और तीन रंगों वाला झंडा निश्चित तौर पर बुरा मनोवैज्ञानिक प्रभाव करेगा तथा देश के लिए हानिकारक साबित होगा। 30 जनवरी 1948 को जब महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई तो अखबारों के माध्यम से खबरें आई थीं कि आर एस एस के लोग तिरंगे झंडे को पैरों से रौंदकर खुशी मना रहे थे। आजादी के संग्राम में शामिल लोगों को आरएसएस की इस हरकत से बहुत तकलीफ हुई थी।
जिला कांग्रेस अध्यक्ष अनिल शुक्ला ने कहा कि भाजपा के पितृ संगठन आरएसएस के मूलस्वरूप हिन्दू महासभा का गठन 1925 में हुआ
। देश आजाद 1947 में हुआ
। इन 22 सालों तक भारत के आजादी की लड़ाई में हिन्दू महासभा का क्या योगदान था? भाजपाई बता नहीं सकते। 1947 में जब देश आजाद हुआ
, तब दीनदयाल उपाध्याय 32 वर्ष के परिपक्व नौजवान थे
। देश की आजादी की लड़ाई में उनका क्या योगदान था
, कितनी बार जेल गये
। 1942 में कांग्रेस महात्मा गांधी की अगुवाई में भारत छोड़ो आंदोलन चला रही थी, तब भाजपा के पितृपुरुष श्यामा प्रसाद मुखर्जी अंग्रेजी
हुकूमत को सलाह दे रहे थे कि भारत छोड़ो आंदोलन को क्रूरतापूर्वक दमन किया जाना चाहिये। अंग्रेजो के इशारे पर मुस्लिम लीग के साथ मिलकर बंगाल में अंतरिम सरकार बनाये। ऐसी विचार धारा वाली भाजपा की तिरंगा यात्रा निकालना केवल राजनैतिक ढोंग है।