बिलासपुर की चंद्रकली चतुर्वेदी ने रायगढ़ के यात्री का ऑटो में छूटा बैग लौटाया
रायगढ़ (सृजन न्यूज)। ईमानदारी आज भी जिंदा है। जी हां, इस बार ईमानदारी की मिसाल कोई और नहीं, बल्कि एक ऐसी महिला ऑटो रिक्शा चालक बनीं जो अपने 3 बच्चों के सुखद भविष्य गढ़ने के लिए चूल्हा-चौका छोड़कर बिलासपुर की सड़कों पर दिनभर तीन पहिया वाहन चलाती हैं। नाम है चंद्रकली चतुर्वेदी। इन्होंने बिलासपुर में रायगढ़ के एक यात्री का खोया बैग लौटते हुए अपनी नीयत बता दीं कि उनका दिल आज भी सच्चा है।
दरअसल, उसलापुर से बिलासपुर जाने के दौरान रायगढ़ के सुनील कुमार नामक मुसाफिर अपने साथी के साथ गत दिवस बिलासपुर के सरकंडा में रहने वाली चंद्रकली चतुर्वेदी नाम की ऑटो चालक के रिक्शे में सवार हुआ। बिलासपुर रेलवे स्टेशन में उतरने के बाद सुनील को पता चला कि उसका बैग गायब है। ऐसे में बदहवास यात्री ने काफी खोजबीन भी की, मगर बैग नहीं मिला।
वहीं, चंद्रकली जब अपने घर पहुंचीं और ऑटो रिक्शे के पीछे बैग को लावारिस हालत में देख उसकी तलाशी ली तो सुनील का आईडी कार्ड मिला। फिर क्या, महिला ऑटो चालक ने आईडी कार्ड में अंकित मोबाइल नंबर से कॉल कर सुनील को बताया कि उसका बैग ऑटो में ही रह गया है तो मुसाफिर को राहत मिली। यही नहीं, चंद्रकली ने बिलासपुर के गोल बाजार बुलाकर सुनील को बैग को ससम्मान वापस करते हुए अपनी ईमानदारी की बानगी पेश की तो यात्री ने महिला ऑटो चालक को दिल से धन्यवाद दिया।
पति ने दिया धोखा, फिर जिंदगी से नहीं मानी हार
न्यायधानी नगरी की सड़कों पर बिंदास ऑटो रिक्शा दौड़ाते हुए लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने वाली चंद्रकली का जीवन भले ही बेरंग रहा, मगर उन्होंने हार नहीं मानी। जीवन साथी ने धोखा दे दिया, ऐसे में 3 बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी चंद्रकली के कंधों पर आ गई। तन्हा जिन्दगी की मार झेल रही चंद्रकली ने मजदूरी की, फिर ऑटो चलाना सीख लिया। यहीं से तकदीर ने ऐसा करवट बदला कि 3 बच्चों की ममता की खातिर मां ने दिनभर घर की दहलीज पार कर ऑटो को ही अपना साथी बनाया और घर गृहस्थी की कमान बखूबी सम्हालते हुए नारी शक्ति की मिसाल बनीं हैं।

