Home राजनीतिक संगठन के नहीं, बल्कि नीयत के सृजन की कांग्रेस करे कार्यशाला – अशोक अग्रवाल

संगठन के नहीं, बल्कि नीयत के सृजन की कांग्रेस करे कार्यशाला – अशोक अग्रवाल

by SUNIL NAMDEO

रायगढ़ (सृजन न्यूज)। कांग्रेस द्वारा पूरे प्रदेश में चलाए जा रहे संगठन सृजन को लेकर भाजपा ने कटाक्ष करते हुए कहा कि कांग्रेस को संगठन सृजन से ज्यादा नीयत सृजन की कार्यशाला की आवश्यकता है। कांग्रेस आज संगठन सृजन का नारा देकर जनता को भ्रमित करने में जुटी है, पर उसके ही विधायकों के आचरण यह साबित कर रहे हैं कि कांग्रेस का सृजन अब षड़यंत्र में बदल चुका है।

           भाजपा के सह प्रवक्ता अशोक अग्रवाल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि कांग्रेस को संगठन नहीं, बल्कि चरित्र सृजन की आवश्यकता है। जब विधायक ही घोटाले, कमीशनखोरी और धोखाधड़ी में लिप्त हों, तब संगठन सृजन का नारा महज़ एक दिखावा रह जाता है। हाल के मामलों ने कांग्रेस की सच्चाई उजागर कर दी है। जैजैपुर विधायक बालेश्वर साहू पर 42 लाख की धोखाधड़ी और फर्जी हस्ताक्षर से रकम हड़पने का मामला दर्ज हुआ।पामगढ़ विधायक शेषराज हरवंश का रेत माफिया से कमीशन मांगने वाला ऑडियो पूरे प्रदेश में वायरल हुआ। अब वही कांग्रेस अपने संगठन सृजन की बैठकों में आदर्श, नीति और ईमानदारी की बातें कर रही है।

अशोक अग्रवाल ने आगे कहा कि कांग्रेस जिस संगठन सृजन के नाम पर रायशुमारी और बैठकें कर नए पदाधिकारी बनाने का दावा कर रही, उसकी पोल काग्रेस के कार्यकर्ता ही खोल रहे हैं।कांग्रेसी कार्यकर्ता दबी जुबान से बड़े नेताओं के दबाव में पदाधिकारी बनाये जाने का संदेह व्यक्त कर रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस को सलाह देते हुए कहा कि पहले अपने विधायकों की नीयत का सृजन कीजिए, फिर संगठन सृजन की बात कीजिए।

     फायर ब्रांड नेता ने आगे कहा कि अब दिल्ली से कांग्रेस के बड़े नेता संगठन सृजन के नाम पर बैठकें लेने प्रदेशों में पहुँच रहे हैं, लेकिन जनता का सवाल है। कहीं ये भी तो सृजन के नाम पर अपने स्वार्थ सिद्ध करते हुए कांग्रेस को और गहराई में धकेलने का काम नहीं कर रहे। कई गुटों में बंटी आपसी रंजिशों में उलझी कांग्रेस चाहे जितनी बैठकें और मंथन कर ले, संगठन का पुनर्जन्म असंभव है, जहाँ शीर्ष से लेकर कार्यकर्ता स्तर तक ईमानदारी का अभाव और स्वार्थ का बोलबाला हो, वहाँ संगठन नहीं, बिखराव ही होता है। कांग्रेस का यह अभियान जनता की नज़रों में खो चुकी विश्वसनीयता को वापस पाने का असफल प्रयास है।

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