

रायगढ़ (सृजन न्यूज)। घरघोड़ा नगर पंचायत की मुख्य नगर अधिकारी (सीएमओ) को पदस्थ हुए 3 महीने पूरे हो चुके हैं, लेकिन इस दौरान वे नगर में मुश्किल से 30 दिन ही मौजूद रही हैं। उनकी लगातार अनुपस्थिति से नगर का प्रशासनिक कामकाज बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। आम जनता की शिकायतें लंबित हैं और जनप्रतिनिधि अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में असहाय महसूस कर रहे हैं। चुने हुए पार्षद अपने-अपने वार्डों की समस्याएं लेकर कार्यालय पहुंचते हैं, परंतु सीएमओ के न मिलने से उन्हें निराशा हाथ लगती है। बताया जा रहा है कि सीएमओ फोन कॉल्स भी रिसीव नहीं करतीं, जिससे जनप्रतिनिधियों को आम जनता की समस्याएं बताने में दिक्कत हो रही है। कार्यालय का माहौल भी अस्त-व्यस्त हो गया है। कर्मचारी बिना दिशा-निर्देश के काम कर रहे हैं। नतीजा यह है कि शिकायतों का निपटारा तो दूर, कई जरूरी कार्य फाइलों में ही अटके हुए हैं।

वार्डों की स्थिति से बेखबर जिम्मेदार अधिकारी, पार्षदों के भी नहीं उठाती फोन

सूत्रों के मुताबिक, पदस्थापना के बाद से अब तक सीएमओ ने एक भी वार्ड का दौरा नहीं किया है। नगर के वार्डों की स्थिति से वे पूरी तरह अनभिज्ञ हैं। शहर में सड़कों की हालत जर्जर है, सफाई व्यवस्था लचर पड़ी हुई है और नालियों की साफ-सफाई तक नियमित नहीं हो पा रही। पानी की आपूर्ति को लेकर कई बार शिकायतें दर्ज हुईं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। पार्षदों का कहना है कि जब नगर की प्रथम अधिकारी ही क्षेत्र की वस्तुस्थिति से अवगत नहीं होंगी तो योजनाओं का क्रियान्वयन अधूरा ही रह जाएगा। लोगों को बुनियादी सुविधाएं समय पर नहीं मिल पा रही हैं। सीएमओ के न आने से जनता से लेकर पार्षद तक सभी परेशान हैं। उनका कहना है कि अधिकारी केवल फाइलों और टेबल मैपिंग के जरिए नगर चला रही हैं, जबकि जमीन पर हालात बिल्कुल विपरीत हैं।

कागजों में सिमटती नगर पंचायत की व्यवस्था
नगर पंचायत की स्थिति अब ऐसी हो गई है कि अधिकांश कामकाज केवल कागजों पर चल रहे हैं। जनता अपनी शिकायतों को लेकर दफ्तरों के चक्कर लगाने को मजबूर है, लेकिन सुनवाई कहीं नहीं हो रही। अधिकारी की अनुपस्थिति के कारण कई विकास कार्य ठप पड़ गए हैं।जिससे नागरिक सुविधाओं की व्यवस्था दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है।