Home राजनीतिक रायगढ़ लोकसभा में चेहरा बदलने से नहीं बदलेंगे पब्लिक के मुद्दे

रायगढ़ लोकसभा में चेहरा बदलने से नहीं बदलेंगे पब्लिक के मुद्दे

by SUNIL NAMDEO EDITOR

रायगढ़। घोषित हो चुके आम चुनाव को लेकर देश में उत्तर इलाके के अलग राजनीति पनप रही है तो दक्षिण में सियासत का अपनी अलबेली चाल है। देश में भले ही 2014 से बीजेपी का एकछत्र राज कायम हो गया हो लेकिन रायगढ़ में यह सिलसिला 1999 से बदस्तूर जारी है। छग राज्य बनने के पूर्व से ही लोकसभा की सत्ता में काबिज रही बीजेपी ने निवृतमान रायगढ़ सांसद को रिपीट करने की बजाय भले ही विधानसभा के दंगल में उतार कर यहां स्वमेव ही नए चेहरे को चुनावी रण में उतार दिया हो, लेकिन आम जनमानस में 2024 के लोकसभा चुनाव में अब भी मुद्दे बदले नहीं है। रायगढ़ लोकसभा में बीजेपी का प्रत्याशी बदल देने भर से पब्लिक की दैनंदिनी से जुड़े मुद्दे अब भी परस्पर वही पुराने कायम हैं। रायगढ़ लोकसभा को 2014 में इतिहास में दूसरी बार सेंट्रल में मिनिस्ट्री मिली जरूर लेकिन सेंट्रल से जुड़े पब्लिक में मामलों में रायगढ़ बहुत कुछ उपलब्धि हासिल नहीं कर सका। आमतौर पर लोकसभा के सांसद से रेल, हाइवे, हवाई सेवा के साथ कोयला संपन्न होने के नाते उल्लेखनीय विकास की आस रायगढ़ को हमेशा से रही लेकिन ये आस केवल परिहास से कहीं ज्यादा वजूद रख नहीं सकी। लोकल मुद्दों को देश में मंदिर संसद तक पहुंचाने और सरकार से काम निकलवाने का माद्दा रखने वाला कोई होनहार सांसद अबतक रायगढ़ को मिल नहीं सका है। लोकसभा का सांसद अब तक रायगढ़ वालों के लिए सेंट्रल में एक नुमाइंदा से कहीं ज्यादा कुछ नहीं रह सका।

टर्मिनल तो छोड़िए, ट्रेन भी अहसान में मिलती
रायगढ़ में रेल टर्मिनल का मामला तात्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार के सेंट्रल की राजनीति छोड़ने के साथ ही सपने जैसा काफूर हो गया। रेल टर्मिनल के नाम पर शिलालेख के अलावा रायगढ़ को तनीक भी हासिल नहीं हुआ। रेल संघर्ष मोर्चा के साथ कई रेल आंदोलन हुए लेकिन रायगढ़ की यह मांग, अब मांग करने लायक भी नहीं बची। रेल सुविधाओं के नाम पर चंद ट्रेन के स्टॉपेज ही रायगढ़ के यात्रियों की नियती बन चुकी है। हां, कुछ इंटर स्टेट लंबी दूरी की ट्रेन अहसान स्वरूप मिलना ही रायगढ़ लोकसभा में जीत का मिलता रहा प्रतिफल है ?

एक हाइवे बेहतर तो दूसरा 10 वर्षीय योजना
रायगढ़ लोकसभा में कई सांसद बदल गए लेकिन सड़कों के मामले में एक केवल रायगढ़–बिलासपुर नेशनल हाइवे को अभी–अभी छोड़कर कोई भी सड़क मुंह दिखाने लायक नहीं है। रायगढ़ से सारंगढ़ होकर सरायपाली की सड़क न जाने कितने टुकड़ों में बनकर और कितने 10 वर्षीय योजनाबके बाद पब्लिक के काम आएगी? रायगढ़ लोकसभा की यह सड़क चार जिलों से होकर जाती है और 3 अलग–अलग बीजेपी सांसदों के प्रभाव वाले क्षेत्र सेभोका गुजरने वाली रायगढ़–सरायपाली सड़क अब भी अपने भागीरथी के इंतजार में है।

हवाई सेवा, रायगढ़ में सिर्फ हवा–हवाई
न जाने रायगढ़ से हवाई सेवा चालू नहीं करने का क्या अभिशाप साथ–साथ चल रहा है इसकी मांग रायगढ़ वालों की दशक भर से रही है लेकिन इसका तोहफा झारसुगुड़ा के बाशिंदों को मिल गया। रायगढ़ के अबतक के लोकसभा सांसदों की इस मांग की ओर वास्तविक दिलचस्पी नहीं लेना अब तक रायगढ़ की जमीन को हवा से नहीं जोड़ सका है। इतने वृहद औद्योगिकीकरण के बाद भी तुच्छ सी हवाई सेवा रायगढ़ वालों के लिए अब तक केवल हवा–हवाई ही बनकर रह गई है।

निवेश के सेंट्रल हिस्से से पिछड़ा रायगढ़
देश में बदलता नया भारत का नारा पुरजोर तरीके से इस लोकसभा चुनाव में सिर चढ़ कर बोल रहा है लेकिन बदलते भारत के आइने में रायगढ़ के चेहरा अब भी पिछड़ा हुआ ही है। देश के कई राज्यों में बड़ा निवेश सेंट्रल के कोटे वाला लगातार हो रहा है लेकिन एनटीपीसी के बाद रायगढ़ में ऐसा कोई उल्लेखनीय निवेश अब तक होता नहीं दिख रहा है। रायगढ़ ने पिछले 5 मर्तबा से हमेशा देशहित में बीजेपी का सांसद चुनकर दिया लेकिन बदले में क्या वाकई रायगढ़ को बराबर का अंशदान विकास का मिला ?

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