Home रायगढ़ न्यूज गुरु वचनों को आत्मसात करने वालों के जीवन की बदल रही दशा और दिशा

गुरु वचनों को आत्मसात करने वालों के जीवन की बदल रही दशा और दिशा

by SUNIL NAMDEO EDITOR

अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा के आध्यात्मिक ज्ञान के जरिए आलोकित हुआ मानव समाज

रायगढ़ (सृजन न्यूज)। सनातन संस्कृति में आषाढ़ मास की पूर्णिमा और महर्षि वेदव्यास की जयंती को गुरु पूर्णिमा पर्व के रूप में मनाया जाता है। मनुष्य जीवन में मौजूद अज्ञानता के अंधकार को मिटाकर ज्ञान का प्रकाश फैलाने वाले महान व्यक्ति को ही गुरु माना जाता है। आध्यात्मिक और शैक्षणिक गुरुओं को सम्मान देने वाले हेतु गुरु पूर्णिमा एक धार्मिक उत्सव है। गुरु आध्यात्मिक ज्ञान और संभावनाओ से भरा अथाह खजाना है जो किसी भी जाति धर्म आस्था संप्रदाय से जुड़े लोगों के लिए निः शुल्क उपलब्ध होता है।

                          अज्ञानता के द्वार खोल गुरु ज्ञान का खजाना कोई भी आसानी से हासिल कर सकता है।आध्यात्मिक गुरु और संत बाबा प्रियदर्शी राम ने अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा को अध्यात्मिक ज्ञान का विश्व विद्यालय बना दिया। इस विश्वविद्यालय से देश भर से विभिन्न धर्म, समाज, संप्रदाय से जुड़े लोग आध्यात्मिक ज्ञान हासिल कर रहे हैं। बाबा प्रियदर्शी राम ने मानव समाज के सामने जीवन में सुख-शांति का मंत्र रखते बताया कि मनुष्य जीवन में सुख-शांति का संबंध साधनों की उपलब्धता से नहीं, बल्कि मन की अवस्था पर निर्भर है। परिस्थिति चाहे कैसी भी रहे, हर परिस्थिति में मनुष्य प्रसन्न रह सकता है। मन के प्रसन्न रहने की अवस्था ही जीवन में खुशियों का स्त्रोत बन जाती है। बाबा प्रियदर्शी राम ने आत्मबल के जरिए अघोर परंपरा से जुड़े शिष्यों के अंदर ऐसी प्रेरणाएँ भरी जिसके वजह से शिष्य सदाचार के मार्ग में चलने में सफल हुए। एक गुरु के नाते बाबा प्रियदर्शी राम ने शिष्यों को साधना मार्ग के अवरोधों एवं विघ्नों के निवारण का सहज उपाय बताया। उन्होंने अपने शिष्यों को उनकी ही अन्त: शक्ति से ही ना केवल परिचित कराया, बल्कि उसे जागृत एवं विकसित करने का हर संभव उपाय भी बताया।

                    बाबा प्रियदर्शी ने यह बताया कि स्कूली शिक्षा में अधिक नंबरों के जरिए हासिल की गई डिग्री धारी या अधिक पैसा कमा कर संपति जुटाने वाले साधक ही समाज में सफल माने जाए यह आवश्यक नहीं है। मानव सेवा करने वाले व्यक्ति जीवन में सही मायने में सफल माने जाते है। बनोरा की इस अध्यात्मिक पाठशाला ने समाज को ऊंचाई हासिल करने के साथ ऊंचाई में बने रहने का मार्ग भी बताया। बनोरा आश्रम की मानवसेवी गतिविधियां अंतिम पंक्ति में खड़े साधन विहीन लोगों के जीवन के मूलभूत आवश्यकता शिक्षा चिकित्सा मुहैया कराने में सफल हुई है। अघोर गुरु पीठ बनोरा के पीठाधीश्वर प्रियदर्शी बाबा राम, अघोरेश्वर भगवान राम के सूक्ष्म स्वरुप की अनुपम धरोहर ही है। तीन दशक पहले बाबा प्रियदर्शी राम के चरण रज पाकर पावन हुई बनोरा की यह पावन स्थली ज्ञान प्रेम संस्कार की त्रिवेणी बन चुकी, जहां से देश भर अघोर पंथ से जुड़े साधक जीवन से जुड़े रहस्यमयी जिज्ञासाओं को आसानी से समझ रहे हैं। वैचारिक मतभेद से समाज में वैमनस्यता बढ़ रही। कटुता बढ़ रही है। रिश्तों में प्रेम का अभाव हो रहा है। व्यवसायिक शिक्षा को प्राथमिकता दिए जाने से समाज में नाना प्रकार की विसंगतियां आ रही है। अघोरेश्वर आपका ही सूक्ष्म स्वरुप आपसे मिलती भाव भंगिमा, आपके उद्देश्य, आप जैसी चमत्कृत शक्ति का अहसास अघोर पंथ से जुड़े शिष्यों को आज भी बनोरा में सहजता से दृष्टगोचर हो रहा है।

                  अघोर पंथ के जुड़े शिष्यों के लिये अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा पावन तीर्थ है। प्रियदर्शी राम आपके चरण रज सभी के माथे में आशीर्वाद स्वरुप मौजूद रहे । आपके जीवन के आदर्श मानव जाति के लिए अनुपम धरोहर है। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आपके शिष्यों को ऐसा आशीर्वाद मिले कि मोह-माया और बंधन से परे होकर मानव हित के लिये अपने जीवन को समर्पित कर सके।अघोरपंथ की अभिमंत्रित भभूत मानव जाति के माथे पर सुशोभित रहे। भभूत की अनुभूति से हर पल जीवन में संतोष हासिल होता रहे। देव-महादेवों के गढ़े हुए प्रतिमाओं की पूजा की बजाये कर्म ही पूजा बन जाये। कर्म फल की चिंता से मुक्त होकर छोटी-छोटी इकाइयों के रुप में मौजूद आपके शिष्य इतने सशक्त बन जाए कि मजबूत सबल राष्ट्र निर्माण की परिकल्पना धरातल पर मूर्तरुप ले सके। श्मशान से समाज की और जिस अधोसंरचना का सूत्रपात अघोरेश्वर ने किया था, उसे आपने ही उसे भव्य स्वरुप दिया है। सर्वहारा वर्ग के सहारा के रुप में आपकी मौजूदगी अंतिम पंक्ति में खड़े मजबूर विवश लोगों का मार्गदर्शन कर रही है।

आस्था की त्रिवेणी बनी अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा

मानव कल्याण हेतु अपना जीवन समर्पित करने वाले बाबा प्रियदर्शी राम का जीवन अंतिम पंक्ति के खड़े ऐसे साधन विहीन लोगों का सहारा है जो जीवन से निराश हो चुके हैं। आध्यात्मिक ज्ञान हेतु अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा आम लोगो के लिए आस्था का केंद्र बन चुका है।

यादगार रहा गुरु पूर्णिमा महोत्सव
ग्राम बनोरा स्थित अघोर गुरु पीठ ब्रम्हानिष्ठालय में प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी गुरु पूर्णिमा का आयोजन धूमधाम से हुआ। सुबह 9 से दोपहर 12.30 बजे गुरुदर्शन के बाद बाबा प्रियदर्शी के श्रीमुख से 4.30 बजे आशीर्वचन होगा।

You may also like