खनकती आवाज़, शब्दों को शानदार लड़ियों में पिरोने वाले, हिंदी व्याकरण के जादूगर हैं अम्बिका वर्मा
रायगढ़ (सृजन न्यूज)। मैंने पूछा केलो महतारी से कि आप इतनी धीमी क्यों बह रही हैं। मैंने पूछा बयारों से कि आप मंद-मंद क्यों बह रहे हैं। राकेश का अर्थ है चाँद और निशा का अर्थ है रात्रि। इस तरह की उपमा अलंकारों से चक्रधर समारोह में लंबे समय से चार चाँद लगाने में दक्ष हैं अम्बिका वर्मा।
पिछले तीन दशक से भी अधिक समय से शिक्षाविद अम्बिका वर्मा चक्रधर समारोह से जुड़े हैं। हर वर्ष अपनी खनकती आवाज़ के माध्यम से शानदार व्याकरण और अपने शब्द संसार के पिटारे से एक से बढ़कर एक शब्दों की लड़ियां पिरोकर दर्शकों से तालियों का आशीर्वाद प्राप्त किया है. चक्रधर समारोह ही नहीं स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस के अवसर पर इनके शब्दों का मायाजाल सुनने को मिलता है। सरस्वती पुत्र श्री वर्मा की शानदार हिंदी का शब्द भंडार लगातार बढ़ता ही जा रहा है। कई प्रकार की पुस्तकों का पठन इनके शब्द भंडार को और भी पुख्ता कर रहा है। इनका मंच संचालन अति विशेष रहता है।
रमन भी कर चुके हैं तारीफ
चक्रधर समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से लेकर सारे शीर्ष नेता उद्घोषक अम्बिका वर्मा के तारीफों के पुल बाँध चुके हैं। हाल ही में चक्रधर समारोह के शुभारम्भ में सीएम विष्णुदेव साय भी अम्बिका वर्मा के मंच संचालन को सराहना की. श्री वर्मा मंच के पीछे के कर्णधार हैं, जिनके संचालन से कार्यक्रम निरंतर आगे बढ़ता है।
अम्बिका वर्मा को यह प्रसिद्धि ऐसे ही नहीं मिली, बल्कि इसके लिए उन्होंने बहुत मेहनत की। जिस कलाकार के विषय में बोलना पड़ता है, उसकी जीवनी पढ़ते हैं। फिर उसके जीवन के खास पलों को अपने शब्दो से उपमा अलंकारो से सजाते हैं, तब कही जाकर एक अच्छा मंच संचालन होता है। अम्बिका वर्मा जिस कार्य का बीड़ा उठाते हैं, उसे शिद्दत से अंजाम तक पहुंचाते हैं।