Home रायगढ़ न्यूज अतिरिक्त कलेक्टर ने सांगीतराई की गलत सीमांकन रिपोर्ट की खारिज

अतिरिक्त कलेक्टर ने सांगीतराई की गलत सीमांकन रिपोर्ट की खारिज

by SUNIL NAMDEO

रायगढ़ (सृजन न्यूज)। जैसे-जैसे रायगढ़ का विकास हो रहा है रायगढ़ में भूमि विवादों की संख्या भी बढ़ रही है। रायगढ़ में नेशनल हाईवे बन चुके बरसों हो गये हैं परंतु अभी तक राजस्व नक्शे में रोड नहीं काटा गया है। इधर, अधिकांश गांव में और शहरी क्षेत्र में चांदा मुनारा भी गायब कर दिया गया है। कुछ लोग शासन की कमजोरी का फायदा उठाते हुए रोड मद में अधिग्रहित उनकी भूमियों को पटवारी और आरआई से मिलकर फिर से बेच रहे हैं और पीड़ित पक्षकार न्यायालय के चक्कर लगा रहे हैं। इस तरह के कई प्रकरण अशुद्ध सीमांकन की वजह से विभिन्न न्यायालयों में चल रहे हैं। विगत 3 मार्च को न्यायालय अतिरिक्त कलेक्टर रायगढ़ की विद्वान न्यायाधीश ने इस पीड़ा को समझा और प्रकरण क्रमांक 20240804200004 अरुण कुमार गुप्ता बनाम महेंद्र सिंह में फैसला देते हुए उन लोगों को राहत पहुंचाई है जो लोग सड़क के किनारे की जमीन महंगे दामों में खरीद कर राजस्व विभाग के कारण अशुद्ध सीमांकन का दंश झेल रहे हैं।।    

                उल्लेखनीय है कि ग्राम सांगीतराई में ही खसरा नं 321 से 330 तक कई विवाद लंबित हैं । न्यायालय ने इस मामले में पाया कि जो सीमांकन किया गया है वो बिना प्रकट चिन्ह अंकित किए हुए किया गया है और सीमांकन के रिपोर्ट के साथ फील्ड बुक नहीं बनाई गई है। बिना रोड अंकित किये केवल विक्रय पत्र में दर्शित चौहद्दी के आधार पर किया जाने वाला सीमांकन सही नहीं है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ ने अपने कई निर्णयों में इस बात का उल्लेख किया है कि प्रकट चिन्ह और चांदा मुनारा के बिना किया गया सीमांकन शुद्ध नहीं है। उन्होंने राजस्व विभाग छत्तीसगढ़ को भी कई बार निर्देश दिया है परंतु इस विभाग में किसी की कोई सुनवाई नहीं हो पाती है। ताजा मामला ग्राम सांगीतराई का है, जहां एक ही भूमि खसरा नं 327 के 12 टुकड़े किए गए हैं और 327/1 के दो टुकड़ों में से बड़े टुकड़े का सीमांकन किये बिना और बिना उसका पूरा रकबा मिलान किये छोटा टुकड़ा काट दिया गया। इसमें से पूर्व में खरीदे गए क्रेता का ना तो नामांतरण किया गया और ना ही उनका सीमांकन और बटांकन किया गया । जबकि उसके बाद सड़क मद की अधिग्रहित भूमि को खरीदने वाले का नामांतरण और बटांकन भी कर दिया गया अब जिसने पहले खरीदा उसे पूरी जमीन नहीं मिल पा रही है। बाद में बेची गई जमीन का भू अधिग्रहण हो चुका है या नहीं यह भी जांच का विषय है।

                     इस प्रकरण में राष्ट्रीय राजमार्ग और प्रदेश राज्य मार्ग के अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने न केवल सड़क का भूमि अधिग्रहण किया है, बल्कि नियमानुसार राशि भी वर्षों पहले राजस्व विभाग के माध्यम से पूर्व मालिक को प्रदान कर दी गयी है। उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि हमारे कई पत्रों के बाद भी राजस्व विभाग राजस्व नक्शे में हमारी सड़कों का उल्लेख नहीं कर रहा है।हर केस में उन्हे पार्टी बना कर बेवजह उनके विभाग को परेशान किया जा रहा है। सरकारें बदलती हैं पर सिस्टम वही रहता है।

                   बहरहाल, अब रायगढ़ विधायक और वित्त मंत्री ओपी चौधरी से अपेक्षा है कि वह इस मुद्दे पर अपना दखल देते हुए राजस्व विभाग को रायगढ़ से आने जाने वाले सभी मार्गों को अंकित करने हेतु एक अभियान का आगाज कराएं ताकि आम जनता को व्यर्थ के कोर्ट कचहरी की प्रक्रिया से राहत मिल सके।

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